बाल श्रमः वैश्विक अनुमान 2020, प्रवृत्तियां और आगे की राह रिपोर्ट

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने ‘‘बाल श्रमः वैश्विक अनुमान 2020, प्रवृत्तियां और आगे की राह’’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) के अवसर पर जारी की गई थी।

बाल श्रम और कोविड-19

  • अत्यधिक निर्धनताः यह महामारी बाल अधिकार संकट के रूप में उभरी है। इससे बाल श्रम का जोखिम बढ़ गया है, क्योंकि अनेक परिवारों के समक्ष अत्यधिक निर्धन हो जाने की संभावना उत्पन्न हो गई है।
  • बलात श्रमः भारत में निर्धन और वंचित परिवारों के बच्चे अब स्कूल छोड़ने के व्यापक जोखिम में हैं, साथ ही उनके द्वारा श्रम किए जाने, विवाह किए जाने तथा उनकी तस्करी किए जाने की संभावना भी प्रकट होने लगी है।
  • आर्थिक आघातः 94% से अधिक बच्चों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है तथा बेरोजगारी और अल्परोजगार दोनों में वृद्धि के कारण परिवार के दबाव ने उन्हें श्रम करने हेतु विवश किया है।
  • शिक्षाः भारत में महामारी के कारण 150 लाख स्कूलों के बंद होने से प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में नामांकित 247 मिलियन बच्चे प्रभावित हुए हैं। इससे बाल श्रम और असुरक्षित प्रवास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
  • बच्चों से दुर्व्यवहारः लगभग 18.6% बच्चों को प्रायः अपने नियोक्ताओं से शारीरिक, मानसिक और मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। बच्चे अपनी आयु के आधार पर प्रतिदिन मजदूरी के रूप में 100 रुपए से लेकर 400 रुपए के बीच आय अर्जित करते हैं।
  • स्वास्थ्यः महामारी ने वायरस से संपर्क और परिणामी संक्रमण के माध्यम से सामान्य स्वास्थ्य और बाल विकास के समक्ष खतरा उत्पन्न कर दिया है। इसके कारण संज्ञानात्मक दुर्बलता, अवसाद और गैर-संचारी रोग जैसी समस्याएं सृजित हुई है।

इस रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

विश्व स्तर पर 160 मिलियन बच्चे बाल श्रम में संलिप्त हैं। इस प्रकार विश्व भर में प्रत्येक 10 बच्चों में से लगभग 1 बच्चा बाल श्रम से ग्रसित है।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में बाल श्रम की व्यापकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। बाल श्रम के विरुद्ध वैश्विक प्रगति वर्ष 2016 से गतिहीन हो गई है।
  • बाल श्रम के कुल 72 प्रतिशत मामले, पारिवारिक श्रम से जुड़े होते हैं, जहां बालक मुख्यतः अपने पारिवारिक खेतों या पारिवारिक सूक्ष्म उद्यमों में कार्य करते हैं।
  • कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2022 के अंत तक वैश्विक स्तर पर 9 मिलियन अतिरिक्त बच्चों के बाल श्रम से ग्रसित होने का खतरा है। कृषि क्षेत्रक की बाल श्रम में अधिक हिस्सेदारी है, जिसके उपरांत सेवा क्षेत्रक और उद्योग क्षेत्रक है।
  • बल श्रम में संलिप्त बच्चों की सर्वाधिक संख्या (86.6 मिलियन) उप-सहारा अफ्रीका में दृष्टिगोचर हुई है। साथ ही यहां बाल श्रम का सर्वाधिक प्रसार भी परिलक्षित हुआ है।