दिल्ली उच्च न्यायाल ने अपने पायलट प्रोजेक्ट पर जीरो पेंडेंसी कोर्ट्स नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें न्यायालयों में मामलों की लंबितता वर्तमान में भारतीय न्यायपालिका के समक्ष व्याप्त सबसे बड़ी चुनौती को चिह्नित किया गया है। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) के अनुसार वर्ष 2018 में अधीनस्थ न्यायालयों में 2.93 करोड़ मामले, उच्च न्यायालयों में 49 लाख मामले और उच्चतम न्यायालय में 57,987 मामले लंबित थे। वर्ष 2009 में विधि आयोग की रिपोर्ट में वर्णित किया गया था कि न्यायाधीशों की वर्तमान क्षमता के साथ लंबित मामलों के निपटान हेतु 464 वर्षों का समय लगेगा।