समुद्री मात्स्यिकी (विनियमन और प्रबंधन) विधोयक, 2019

हाल ही में, समुद्री मात्स्यिकी विनियमन और प्रबंधन (Marine Flsheries Regulation and Management: MFRM) विधेयक, 2019 को चर्चा हेतु पब्लिक डोमेन में रखा गया है। भारत ने यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (UNCLOS)ए 1982 तथा विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation: WTO) के समझौतों के तहत अपने दायित्व के अनुसार MFRM विधेयक, 2019 को प्रस्तावित किया है।

  • समुद्री मात्स्यिकी, समुद्री मछलियों और अन्य समुद्री उत्पादों से संबंधित है। वर्ष 2018-19 में 13.7 मिलियन मीट्रिक टन के कुल उत्पादन के साथ भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश रहा। समुद्री मछलियों और अन्य समुद्री उत्पादों में कुल सकल मूल्य में निरंतर वृद्धि के साथ कृषिगत GDP में 5.23% का योगदान करता है।
  • भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि पोषण सुरक्षा प्रदान करने वाले खाद्य उत्पादन का एक महत्वपूर्ण घटक होने के साथ-साथ करोड़ों लोगों को आजीविका सहायता और लाभकारी रोजगार के अतिरिक्त कृषि निर्यात में भी योगदान करता है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • मात्स्यिकी का एकीकृत विकास और प्रबंधन: सरकार द्वारा अनुमोदित ‘मात्स्यिकी का एकीकृत विकास और प्रबंधन’ का उद्देश्य गहन समुद्री मात्स्यिकी सहित जलीय कृषि और अंतर्देशीय एवं समुद्री मात्स्यिकी से संबंधित मत्स्य संसाधनों से मछली उत्पादन और मछली उत्पादकता दोनों में वृद्धि करने हेतु मात्स्यिकी क्षेत्र का एक केंद्रित विकास और प्रबंधन करना है।
  • नेशनल मरीकल्चर पॉलिसी का मसौदाः देश में खाद्य और पोषण सुरक्षा को बढावा देने तथासंधारणीय समुद्री खाद्य उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए नेशनल मरीकल्चर पॉलिसी का मसौदा तैयार किया गया।
  • EEZ में लेटर ऑफ परमिट प्रणाली को समाप्तः स्थानीय मछुआरों को आजीविका को बढ़ावा देने हेतु EEZ में "लेटर ऑफ परमिट (LOP)" प्रणाली को समाप्त करने के साथ ही पारंपरिक मछुआरों को EEZ में मानसून अवधि के दौरान मत्स्यन क्रिया पर लागू प्रतिबंध से छूट प्रदान की गई है।

भारत में समुद्री मात्स्कियी की क्षमता

  • भारत के पास लगभग 8,118 किलोमीटर लंबी तटरेखा, अंतर्देशीय जल संसाधनों के अतिरिक्त 2-02 मिलियन वर्ग किलोमीटर का अन्न्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) विद्यमान है। देश के EEZ की वार्षिक मात्स्यिकी की संभावना लगभग 5 मिलियन टन है।
  • भारत के पास विशाल तटीय आर्द्रभूमि विद्यमान है जो 40,230 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में विस्तृत है।

सुझाव

  • आनेवाले वर्षों में गहन समुद्री क्षेत्र के महत्व और व्यापकता को देखते हुए सरकार को वित्तपोषण को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
  • अनेक मछुआरों के जीवन की सुरक्षा हेतु बीमा प्रणाली और पड़ोसी देशों के साथ मछुआरों की सुरक्षा एवं बचाव के लिए सहयोग करना अनिवार्य कार्य होना चाहिए।
  • परामर्श एवं प्रशिक्षण के प्रावधान के माध्यम से अग्रसक्रिय समर्थन प्रदान करना चाहिए।
  • लागों में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और गैर-पारंपरिक संसाधनों के पोषक मूल्यों के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करना भी आवश्यक है ताकि कई ऐसे गहन समुद्री संसाधनों के लिए एक मुक्त बाजार का सृजन किया जा सके।
  • समुद्री मात्स्यिकी को आदर्श रूप से समवर्ती सूची का विषय बनाया जाना चाहिए।

चुनौतियां

  • गहन समुद्री मत्स्यन से संबंधित मुद्देः गहन समुद्री मात्स्यिकी हेतु उच्च पूंजी निवेश और बारम्बार लागत वहन करने की आवश्यकता होती है। मछुआरों के विभिन्न समूहों द्वारा गहन समुद्री मत्स्यिकी नीति की आलोचना की गई थी, जिसका मुख्य कारण भारतीय समुद्र मे विदेशी जहाजों को मत्स्यन हेतु अनुमति प्रदान करना था।
  • अप्रयुक्त संसाधनः झींगा मछली और शर्क जैसे उच्च मूल्य वाले संसाधनों के अतिरिक्त उच्च सागर में पकड़े गए अधिकांश समुद्री संसाधनों को समुद्र में ही छोड़ दिया जाता है।
  • प्रौद्योगिकी का अभावः तकनीकी विशेषज्ञता और अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी के मानकीकरण के मध्य अत्यधिक अंतराल विद्यमान है।
  • अवसंरचनात्मक सुविधाओं का अभावः नई नौकाओं का निर्माण और मौजूदा नौकाओं की मरम्मत करने हेतु जहाज निर्माण करने वाले मानक यार्ड, मछली पकड़ने हेतु विशिष्ट बंदरगाह आदि जैसी अवसंरचनात्मक सुविधाओं का अभाव, मत्सयन क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
  • केंद्र और राज्यों के मध्य विद्यमान अंतराल को दूर करनाः मत्स्य पालन राज्य सूची का एक विषय है, इसलिए आंतरिक जल (Internal Waters: IW) और प्रदेशिक समुद्र (Territorial Sea: TS) में मत्स्यन, संबंधित राज्यों के दायरे के अधीन हैं। TS में अन्य गतिविधियां और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone: EEZ) की सीमा तक मछली सहित सभी गतिविधियां संघ सूची का विषय हैं। अभी तक केंद्र सरकार द्वारा संपूर्ण EEZ को शामिल करने हेतु किसी भी कानून का निर्माण नहीं किया गया है।