भारत द्वारा 2035 तक तकनीकी और वैज्ञानिक दक्षता हासिल करने के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने ‘टेक्नोलॉजी विजन 2035’ नाम से एक रूपरेखा भी तैयार की है।
इसमें शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खाद्य और कृषि, जल, ऊर्जा, पर्यावरण इत्यादि जैसे 12 विभिन्न क्षेत्रों से सम्बंधित विशेष पहल किये गए हैं।
वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष अनुसंधान, विनिर्माण, जैव-ऊर्जा तकनीकऔर परमाणु ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश हो रहा है।
भारतप्रौधोगिकी शोध के क्षेत्र में CSIR, DRDO, ICAR, ISRO, ICMR, C-DAC, NDRI, IITs और भारतीय विज्ञान संस्थान IISc, जैसे संस्थानों की वैश्विक मानक रैंकिंग में सुधार हुआ है।
किसानों को जड़ी-बूटी के उत्पादन के लिये प्रोत्साहित करने तथा इस दिशा में शोध करने के लिये जम्मू-कश्मीर ‘आरोग्य ग्राम परियोजना’ की शुरुआत की गई है।
भारत को विश्व स्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन, नवाचार को बढ़ावा देने के लिये अटल इनोवेशन मिशन, अटल टिकरिंग लैब तथा विद्यार्थियों में शोध कार्यों के प्रति रुचि बढ़ाने के लिये छात्रवृत्ति प्रोग्राम इंस्पायर स्कीम जैसे महत्वपूर्ण पहल किए गए हैं।
2018-19 में इंटर-डिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स पर राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS) और द ग्लोबल कूलिंग प्राइज शामिल किया गया है।
भारतीय और आसियान शोधकर्त्ताओं, वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों के बीच नेटवर्क बनाने के उद्देश्य से आसियान-भारत इनोटेक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों, साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिये भारत-न्ज्ञ, साइंस एंड इनोवेशन पॉलिसी डायलॉग के जरिये भारत और ब्रिटेन मिलकर काम कर रहे हैं।
विदेशों में एक्सपोजर और प्रशिक्षण प्राप्त करने के उद्देश्य से विद्यार्थियों के लिये ओवरसीज विजिटिंग डॉक्टोरल फेलोशिप प्रोग्राम चलाया जा रहा है।