स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019

अमेरिका स्थित संस्था हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिटड्ढूट (Health effects Institute - HEI) द्वारा अप्रैल, 2019 को ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2019’ (State of Global Air-2019) नामक रिपोर्ट जारी की गई।

  • हम जिस हवा में सांस लेते हैं, उसका हमारे स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है। हवा की खराब गुणवत्ता लोगों में हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों को जन्म देती है। परिणामस्वरूप यह अल्पायु में मृत्यु का कारण बनती है।
  • इसके अलावा यह अस्थमा जैसी पुरानी बीमारियों को भी बढ़ाती है, जिससे लोग स्कूली शिक्षा या काम करने से वंचित रह जाते हैं अथवा उनकी जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  • वायु प्रदूषण की इस वैश्विक रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण के कारण भारत में 12 लाख (1.2 मिलियन) से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।

प्रमुख तथ्य

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2019 के अनुसार, दीर्घकालिक रूप में घर के अंदर तथा बाहर होने वाले वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने पर वर्ष 2017 में स्ट्रोक, मधुमेह, दिल का दौरा, फेफड़ों के कैंसर और ‘फेफड़ों की पुरानी बीमारी’ (chronic lung disease) से लगभग 5 मिलियन मौतें हुईं। इनमें से 3 मिलियन मौतें सीधे पीएम 2.5 की वजह से संबंधित हैं, जिनमें से आधी मृत्यु की घटनाएं भारत और चीन में हुईं।

  • विश्लेषण में पाया गया कि 2017 में आउटडोर और इनडोर वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से लगभग 5 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें भारत व चीन दोनों में से प्रत्येक में 1.2 मिलियन मौतें हुईं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सभी स्वास्थ्य खतरों से होने वाली मृत्युओं में वायु प्रदूषण तीसरा सबसे बड़ा कारण है।
  • रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में औसत रूप से वायु प्रदूषण ने जीवन प्रत्याशा को 1 वर्ष 8 महीने कम कर दिया है। यानि आज जन्म लेने वाले बच्चे की वायु प्रदूषण के कारण 20 महीने पहले ही मृत्यु हो जाएगी।

ध्वनि प्रदूषण

अनियंत्रित, अत्यधिक तीव्र एवं असहनीय ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता को ‘डेसिबल इकाई’ में मापा जाता है। शून्य डेसिबल, ध्वनि की तीव्रता का वह स्तर है, जहां से ध्वनि सुनाई देने लगती है। फुसफुसाहट में बोलने पर ध्वनि की तीव्रता 30 डेसिबल होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार 40 से 50 डेसिबिल तक की ध्वनि मनुष्य के सहने लायक होती है। उससे अधिक तीव्रता की ध्वनि मनुष्य के लिये हानिकारक होती है। मानव के परिप्रेक्ष्य में ध्वनि का स्तर निम्न प्रकार है-

क्र.

क्रिया

ध्वनि का स्तर (डेसिबल में)

1.

सामान्य श्रवण की सीमा

20

2.

सामान्य वार्तालाप

50.60

3.

सुनने की क्षमता में गिरावट

75

4.

चिड़चिड़ाहट

80

5.

मांस-पेशियों में उत्तेजना

90

6.

दर्द की सीमा

120

  • वायु प्रदूषण के विभिन्न कारणों में से अकेले PM2.5, जीवन प्रत्याशा को 1 वर्ष कम करने के लिए जिम्मेदार है।
  • वायु प्रदूषण श्वसन रोग, हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़े के कैंसर, निमोनिया और मधुमेह के कारण होने वाली असमय मृत्यु से भी संबंधित है।
  • वर्ष 2017 में विश्व स्तर पर वायु प्रदूषण (पीएम 2.5, घरेलू प्रदूषण और ओजोन), लगभग 4.9 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार रहा; यानी प्रत्येक 10 में लगभग 1 की मृत्यु वायु प्रदूषण की वजह से हुई।
  • 2017 में वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक मृत्यु दर वाले 10 देशों में चीन (1.2 मिलियन), भारत (1.2 मिलियन), पाकिस्तान (1,28,000), इंडोनेशिया (1,24,000), बांग्लादेश (1,23,000), नाइजीरिया (1,14,000), अमेरिका (1,08,000), रूस (99,000), ब्राजील (66,000) और फिलीपींस (64,000) शामिल हैं। दुनिया भर में वायु प्रदूषण, कुपोषण, शराब और शारीरिक निष्क्रियता जैसे कई ज्ञात जोखिम कारकों की तुलना में अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।
  • प्रत्येक वर्ष सड़क दुर्घटनाओं या मलेरिया की तुलना में वायु प्रदूषण से अधिक लोगों की मृत्यु होती है।

सूक्ष्म कणों से होने वाला वायु प्रदूषणः दुनिया भर में PM2.5 का परिवेश स्तर WHO द्वारा स्थापित एयर क्वालिटी गाइडलाइन की तुलना में लगातार बढ़ रहा है। डब्ल्यूएचओ गाइडलाइन में पीएम 2-5 का वार्षिक औसत 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर (mg/m3) निर्धारित किया गया है।

  • 2017 में विश्व की 92% आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती थी, जहां पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश में निर्धारित स्तर से अधिक था।
  • PM2.5 का वार्षिक स्तर वर्ष 2017 में दक्षिण एशिया में सर्वाधिक था। दक्षिण एशिया में भी नेपाल (100 mg/m3), भारत (91 mg/m3), बांग्लादेश (61 mg/m3) और पाकिस्तान (58 mg/m3) में इसका स्तर सबसे अधिक था।

घरेलू वायु प्रदूषणः वैश्विक स्तर पर, हालांकि ठोस ईंधन के साथ खाना पकाने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई है। परंतु, असमानताएं विद्यमान हैं तथा कम विकसित देशों की आबादी घरेलू वायु प्रदूषण से सर्वाधिक जोखिम में बनी हुई है।

  • वर्ष 2017 में भोजन बनाने के लिए ठोस ईंधन के उपयोग के कारण 3.6 बिलियन लोग (वैश्विक जनसंख्या का 47%) घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में थे।
  • यह प्रवृत्ति विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया व पूर्वी एशिया में अधिक रही। भारत में अनुमानतः 84.6 करोड़ लोग (60% आबादी) तथा चीन में 45.2 करोड़ लोग (जनसंख्या का 32%) घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में थे।