2013 में ट्रांसजेंडर समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं का अध्ययन करने और सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया गया।
समिति ने 2014 में रिपोर्ट प्रस्तुत की, और जिसमें निम्नलिखित सिफारिशें दी-
समुदाय की समस्याओं का अध्ययन करने और उन्हें संबोधित करने के लिए एक समिति गठित करने का सुझाव दिया, जिसमें इस समुदाय का उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
पासपोर्ट अधिकारी और चुनाव आयोग मौजूदा कॉलम में ‘अन्य’शब्द की जगह ‘ट्रांसजेंडर’शब्द करने पर विचार कर सकते हैं।
इन प्राधिकारियों को अपने मौजूदा निवास के प्रमाण के लिए और गुरुओं को अपने माता-पिता के रूप में स्वीकार करने पर भी विचार करना चाहिए।
ट्रांसजेंडर समुदाय के मानवाधिकारों के हनन के बारे में पुलिस को संवेदनशील बनाना और इसके दुरुपयोग विशेष सेल के निर्माण पर विचार करना चाहिए।
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को प्रशिक्षित एवं संवेदनशील बनाना और समुदाय की स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना।
समुदाय की जनसंख्या का सही आँकड़ा जुटाना।
ट्रांसजेंडर समुदाय से सम्बंधित किसी कार्यक्रम या हस्तक्षेप (interventions) को तैयार करने में इस समुदाय को शामिल किया जाना चाहिए।
आवास और रोजगार की जरूरतों सहित ट्रांसजेंडरों की सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए। अन्य मंत्रालयों की योजनाओं का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की योजनाओं के साथ सामंजस्य होना चाहिए।
इसने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का मार्ग प्रशस्त किया।