जून 2019 में केंद्र सरकार द्वारा आठ प्रमुख मंत्रिमंडलीय समितियों का पुनर्गठन (Cabinet Committees Reconstituted) किया, जिसमें दो नई समितियों (निवेश और विकास पर मंत्रिमंडलीय समिति तथा रोजगार और कौशल विकास पर मंत्रिमंडलीय समिति) का गठन किया गया। ये संविधानेत्तर निकाय हैं, जिनकी स्थापना से संबंधित प्रावधान भारत सरकार (कार्य संचालन) नियम, 1961 में उपबंधित किए गए हैं। प्रधानमंत्री द्वारा इन्हें समय की अनिवार्यता और परिस्थितियों की मांग के अनुसार गठित किया जाता है। इसलिए इनकी संख्या, नामकरण और संरचना समय के साथ परिवर्तित होते रहते हैं।
निवेश और विकास पर मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा एक निश्चित समयसीमा के अंतर्गत कार्यान्वित की जाने वाली 1,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक के निवेश की अवसंरचना और विनिर्माण संबंधित परियोजनाओं अथवा इसके द्वारा निर्दिष्टि किसी अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं की पहचान की जाएगी। इसके द्वारा चिह्नित क्षेत्रों में संबंधित मंत्रालयों द्वारा अपेक्षित अनुमोदन और स्वीकृति प्रदान करने हेतु समय-सीमा का निर्धारण के साथ-साथ परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी भी की जाएगी।
रोजगार और कौशल विकास पर मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा कौशल विकास के लिए सभी नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं और पहलों को दिशा प्रदान की जाएगी, जिसका उद्देश्य वृद्धिशील अर्थव्यवस्था की उभरती आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने और जनसांख्यिकीय लाभांश के लाभों को प्राप्त करने हेतु कार्यबल की रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। मंत्रालयों द्वारा संचालित सभी कौशल विकास पहलों के त्वरित कार्यान्वयन के लिए इन समितियों द्वारा लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा और समय-समय पर इस संबंध में इसकी प्रगति की समीक्षा भी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि कार्यबल में भागीदारी को बढ़ाना, रोजगार वृद्धि को बढ़ावा देना और संबंधित कारणों की पहचान करना तथा विभिन्न क्षेत्रों में कौशल की आवश्यकता और उपलब्धता के मध्य विद्यमान अंतराल को समाप्त करने की दिशा में कार्य करना आवश्यक है।
पुनर्गठित समितियां
|
मंत्रिमंडलीय समितियां मंत्रिमंडल के अत्यधिक कार्यभार का कम करने हेतु एक प्रकार के संगठनात्मक उपकरण है। ये समितियां नीतिगत मुद्दों की गहन समीक्षा और प्रभावी समन्वय की सुविधा प्रदान करती हैं। सामान्यतः इनमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं। हालांकि, कैबिनेट मंत्रियों के अतिरिक्त अन्य मंत्रियों को भी इनका सदस्य बनाया जा सकता है। इनमें न केवल संबंधित मामलों के प्रभारी मंत्री शामिल होते हैं; बल्कि अन्य वरिष्टि मंत्री भी शामिल होते हैं। इनके सदस्यों की संख्या तीन से लेकर आठ तक हो सकती है।