के. कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट के आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 बनाई गई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में समिति का गठन किया गया था।
नीति की मूल विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षाः राष्ट्रीय शिक्षा नीति बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिए दो भाग के पाठड्ढक्रम को विकसित की है। इसमें तीन साल तक के बच्चों के लिए निर्देश (माता-पिता और शिक्षकों) और तीन से आठ साल के बच्चों के लिए शैक्षिक ढांचा शामिल होगा। इसे आंगनवाड़ी प्रणाली में सुधार एवं विस्तार और प्राथमिक विद्यालयों के साथ आंगनवाड़ियों के सह-कार्यान्वयन द्वारा लागू किया जाएगा।
आरटीई अधिनियम, 2009: अधिनियम की दायरा बढ़ाया जाएगा और 3 से 18 आयु वर्ग के बच्चों को कवर किया जाएगा। सीखने के उपयुक्त आयु स्तर को बढ़ावा देने के लिए समीक्षा किया जाय और यदि संभव हो तो नो-डिटेंशन पॉलिसी से दूर रहे।
स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चरः यह छोटे स्कूलों के दूर करने और उन्हें स्कूल परिसर बनाने के लिए विलय करने की सिफारिश करता है। यह सभी पड़ोसी पब्लिक स्कूलों को संचालित करेगा और प्री-प्राइमरी से कक्षा आठ तक की कक्षाओं का संचालन करेगा।
शिक्षक प्रबंधनः शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षक को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और इसके लिए 4 साल का एकीकृत बी-एड- पाठड्ढक्रम के साथ ही एक शिक्षक को कम से कम 5 से 7 साल के लिए एक स्कूल परिसर में तैनात होना चाहिए।
नियामक निकायः समिति के अनुसार वर्तमान उच्च शिक्षा प्रणाली में अतिव्यापी कई नियामक हैं। यह उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता को कम करता है और निर्भरता एवं केंद्रीकृत निर्णय लेने की स्थिति का निर्माण करता है। इसलिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक प्राधिकरण (NHERA) की स्थापना का प्रस्ताव।
इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषाओं में छात्रों को शिक्षा देना, सभी स्तरों पर शिक्षा में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना, शिक्षा पर बजट का कम से कम 6% खर्च करना आदि।