इस समिति को 2005 में डॉ. भालचंद्र मुंगेकर की अध्यक्षता में गठित किया गया था, जिसका उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में प्रशासन और शासन से सम्बंधित मुद्दों की जांच करना था।
इस समिति को अन्य मुद्दें के अलावा स्व-शासन के संस्थानों को पुनर्जीवित करने, प्रभावी वितरण तंत्र की स्थापना, महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का निर्माण, अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता), अधिनियम, 2006 आदि की भी जाँच करनी थी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय और राज्य आदिम जाति कल्याण विभाग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 आदि की भूमिका पर सिफारिशें कीं।
वन भूमि पर आदिवासियों के अधिकारों को स्वीकार करने और IAS, IPS की तर्ज पर एक जनजातीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग बनाने की सिफारिश की।