‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को एक महत्वपूर्ण निवेश गंतव्य और विनिर्माण, डिजाइन एवं नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में बढ़ावा देना है।
मेक इन इंडिया के उद्देश्यों में शामिल हैं
मेक इन इंडिया के क्षेत्रवार परिणाम
रक्षा विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, दूरसंचार, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स आदि सहित प्रमुख क्षेत्रों के लिए एफडीआई नीतियों को सरल और उदार बनाया गया है।
नागरिक उड्डयन क्षेत्र
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र
इस्पात क्षेत्र
सेल ने अपनी क्रूड इस्पात उत्पादन क्षमता को 12.8 मिलियन टन प्रतिवर्ष से 21.4 एमटीपीए तक बढ़ाने के लिए भिलाई, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर और बर्मपुर स्थित इस्पात संयंत्रों के आधुनिकीकरण एवं विस्तार कार्य प्रारंभ किया है, जिसमें राउरकेला, बर्नपुर, दुर्गापुर, बोकारो और सेलम का आधुनिकीकरण और विस्तार कार्य पूरा हो चुका है।
जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र
MSME सेक्टर
नई सरकारी प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSE) द्वारा MSME क्षेत्र से 25% की अनिवार्य खरीद को लागू किया गया।
फार्मास्युटिकल सेक्टर
11 नेशनल इंस्टीटड्ढूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPERs) की स्थापना को मंजूरी दी गई है। अनिवार्य रिटर्न की ऑनलाइन फाइलिंग की सुविधा के लिए ‘फार्मा डेटा बैंक’ शुरू किया गया है।
पोर्ट्स और शिपिंग सेक्टर
सागरमाला परियोजना बंदरगाह क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विकास को बढ़ावा देती है यह माल परिवहन के लिए बुनियादी ढाँचा प्रदान करती है।
चुनौतियां
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विश्लेषण
आधुनिक और उच्च गति की संचार तकनीकों, एकीकृत लॉजिस्टिक्स व्यवस्था, नियमित बिजली आपूर्ति, परिवहन क्षेत्रों से कनेक्टिविटी, कच्चे माल की उपलब्धता आदि की बुनियादी जरूरतों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों को लैस करना आवश्यक है।