डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत सरकार का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है; जिसमें डिजिटल पहुंच, डिजिटल समावेशन, डिजिटल सशक्तिकरण सुनिश्चित करने और डिजिटल विभाजन को सीमित करके भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज एवं बेहतर अर्थव्यवस्था में बदलने का दृष्टिकोण है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन संचालित है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित हैः

  1. डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर हर नागरिक के लिए एक कोर यूटिलिटी के रूप में।
  2. शासन और सेवाओं की मांग।
  3. नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण।

डिजिटल इंडिया का परिणाम

आधार के माध्यम से भारत ने अपने भारतीय नागरिकों को 99% वयस्क आबादी के साथ डिजिटल पहचान दी है।

  • भारत की अनूठी भुगतान प्रणाली जैसे BHIM-UPI और BHIM-AADHAR के कारण डिजिटल भुगतान में वृद्धि हुई है।
  • UMANG (यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू एज गवर्नेंस) प्लेटफॉर्म लोगों को आसानी से सुलभ, उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल सेवा डिलीवरी प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
  • जन धन खातों को मोबाइल कनेक्शन से जोड़ने और आधार को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की ओर ले जाने के लिए प्रेरित किया है।
  • राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) ने उच्च गति डेटा कनेक्शन के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों को आपस में जोड़ने का कार्य किया है।
  • डिजी लॉकर सुविधा नागरिकों को अपने महत्वपूर्ण दस्तावेजों, जैसे पासपोर्ट, अंक पत्र, डिग्री प्रमाण पत्र आदि को डिजिटल रूप से संग्रहीत करने में मदद करती है। इससे अधिकारिक अनुप्रयोगों की अनुमति से शीघ्र विवरणों की प्रमाणीकृत जांच किया जा सकता है।
  • राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) का उद्देश्य देश में सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड फाइबर केबल (ओएफसी) के माध्यम से जोड़ना है, ताकि ब्रॉडबैंड मुहैया कराने के लिए ग्राम पंचायत और ब्लॉक के बीच संपर्क अंतराल को पाटा जा सके।
  • मैपहद, एक डिजिटल हस्ताक्षर एप्लिकेशन है, जिसके उपयोग से आधार कार्ड धारक दस्तावेजों को ऑनलाइन प्रमाणित कर सकेंगे।
  • इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर में सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट उपलब्ध कराए जाएंगे।

विश्लेषण

कौशल विकास और साइबर सुरक्षा पेशेवरों के कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देना। NASSCOM के अनुसार, भारत को 2025 तक एक मिलियन प्रशिक्षित साइबर सुरक्षा पेशेवरों की आवश्यकता है।

  • स्नातक स्तर पर साइबर सुरक्षा पाठड्ढक्रम का परिचय दें और विभिन्न कौशल आधारित साइबर सुरक्षा पाठड्ढक्रम शुरू करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन निकायों को प्रोत्साहित करें।
  • साइबर-सुरक्षा नेटवर्क बनाने के लिए सरकार, दूरसंचार और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच तीन स्तरीय सेवा भागीदारी होनी चाहिए, जो मालवेयर और साइबर हमलों से भारतीय साइबर सिस्टम को सुरक्षित रखे।
  • बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
  • भारत में निम्न इंटरनेट की गति सम्बन्धी चुनौति से निपटना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण और विभिन्न पीपीपी मॉडल की खोज करने के लिए धन की प्रभावी तैनाती।
  • व्यवहार्यता अंतराल फंडिंग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में निजी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए व्यावसायिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करना।

चुनौतियां

  • भारत में उच्च स्तर की डिजिटल निरक्षरता और शहरी-ग्रामीण विभाजन विद्यमान है।
  • स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं की अनुपलब्धता डिजिटल साक्षरता में एक बड़ी बाधा है।
  • साइबर सुरक्षा मुद्दों, गोपनीयता के उल्लंघन और साइबर अपराध के डर से डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने में गंभीर अवरोध उत्पन्न हो गया है।
  • राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के तहत मुख्य चुनौती यह सुनिश्चित करने की है कि ब्रॉडबैंड के प्रत्येक पंचायत बिंदु को तय किया जाए और यह कार्यशील रहे। इस तथ्य की भी जानकारी मिली है कि एनओएफएन बिंदुओं का 67% पायलट चरण में हीगैर-कार्यात्मक है।
  • डिजिटल लेनदेन में तीव्र वृद्धि से निपटने के लिए भारत का डिजिटल बुनियादी ढांचा व्यापक रूप से अपर्याप्त है। डेलॉइट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को वैश्विक स्तर पर पहुंचने के लिए वर्तमान में लगभग 31,000 हॉटस्पॉट की उपलब्धता के मुकाबले 80 लाख से अधिक हॉटस्पॉट की आवश्यकता है।

डिजिटल इंडिया के स्तंभ

  • ब्रॉडबैंड हाईवेज।
  • सभी नागरिकों की टेलीफोन सेवाओं तक पहुंच।
  • सार्वजनिक इंटरनेट उपभोग कार्यक्रम।
  • ई-गवर्नेंस-प्रौद्योगिकी के माध्यम से शासन में सुधार।
  • ई-क्रांति-इलेक्ट्रॉनिक रूप में सेवाओं को मुहैया कराना।
  • सभी के लिए जानकारी/सूचना
  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भर।
  • नौकरियों के लिस सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल।
  • जल्द परिणाम देने वाले कार्यक्रम