9 सितंबर, 2019 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कई देशों में राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य सुधारों में प्रगति के बाद भी हर 40 सेकेंड में आत्महत्या से एक व्यक्ति की मृत्यु हो रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जरी रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन 7.5 प्रतिशत भारतीय किसी-न-किसी रूप में मानसिक विकार से ग्रस्त हैं।
WHO के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2020 तक भारत की लगभग 20 प्रतिशत आबादी मानसिक रोगों से पीड़ित होगी। मानसिक रोगियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद भी अब तक भारत में इसे एक रोग के रूप में पहचान नहीं मिल पाई है। आज भी यहाँ मानसिक स्वास्थ्य की पूर्णतः उपेक्षा की जाती है और इसे काल्पनिक माना जाता है; जबकि सच्चाई यह है कि जिस प्रकार शारीरिक रोग हमारे लिये हानिकारक हो सकते हैं, उसी प्रकार मानसिक रोग भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
इस मुद्दे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहली रिपोर्ट वर्ष 2014 में आई थी, तबसे आत्महत्याओं को एहतियाती उपायों को अपनी राष्ट्रीय रणनीति में शामिल करने वाले देशों की संख्या बढ़कर 38 हो गई है, सरकारों को इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता पक्की करनी होगी। दुनिया भर में हर वर्ष लगभग 8 लाख लोगों की मौत आत्महत्या से होती है और हर एक मौत से पहले कम से कम बीस बार खुदकुशी करने की कोशिश की जाती है।
आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या युद्धों और हत्याओं की वजह से होने वाली कुल मौतों से भी ज्यादा होती हैं। स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि खुदकुशी 15 से 29 वर्ष की उम्र वाले युवाओं के बीच मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इस उम्र के लोगों की सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों में होती हैं।