भारत में पंचायती राज प्रणाली एक प्राचीन अवधारणा है, लेकिन पंचायती राज प्रणाली की आधुनिक अवधारणा की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में हुई, जिसे 1870 के बंगाल चौकीदारी अधिनियम में देखा जा सकता है।
1870 में मेयो द्वारा प्रस्ताव लाया गया, जो स्थानीय संस्थानों की शक्तियों और जिम्मेदारियों को बढ़ाने से सम्बंधित था। 1882 में पहली बार स्थानीय सरकारों पर लॉर्ड रिपन का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके माध्यम से स्थानीय बोर्ड का गठन किया गया, जिसमें स्थानीय निर्वाचित सदस्यों की प्रधानता थी।
भारत सरकार अधिनियम 1919 और भारत सरकार अधिनियम 1935 प्रांतों के द्वारा अत्यधिक केंद्रीकृत शासन प्रणाली को धीरे-धीरे विकेंद्रीकृत किया जाने लगा।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात, पंचायत प्रणाली के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया गया। 1959 में राजस्थान इस प्रणाली को अपनाने वाला प्रथम राज्य था, इसके बाद आंध्र प्रदेश ने इसे अपनाया।