स्थानीय निकायों के घटक

ग्रामीण स्थानीय निकाय में जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत शामिल हैं।

जिला परिषदः यह जिला स्तर पर एक स्थानीय सरकारी निकाय है। यह एक जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रशासन को देखता है। परिषद के सदस्यों को लोगों द्वारा पांच साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। कुछ सीटें एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव ढाई साल के कार्यकाल के लिए होता है।

पंचायत समितिः पंचायत समिति तालुका स्तर पर गठित की जाती है। प्रत्येक पंचायत समिति का अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष होते हैं। खंड विकास अधिकारी (BDO) पंचायत समिति के कार्यकारी प्रमुख हैं। उनकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।

ग्राम पंचायतः यह ग्रामीण स्तर पर काम करती है। यह एक गांव या दो या दो से अधिक गांवों को एक साथ जोड़कर गठित की जाती है। सरपंच ग्राम पंचायत का प्रमुख होता है। वह ग्राम पंचायत द्वारा पारित प्रस्तावों का पर्यवेक्षण और कार्यान्वयन करता है।

  • शहरी स्थानीय निकायों में नगर निगम, नगर पालिका/परिषद और नगर पंचायत शामिल हैं।

नगर निगमः नगर निगम में एक समिति होती है, जहाँ प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधियों को पाँच साल के लिए चुना जाता है। महापौर और उपमहापौर पार्षदों द्वारा ढाई साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं। मेयर को शहर का पहला नागरिक माना जाता है। सांसद, विधायक निगम के पदेन सदस्य होते हैं।

नगर पालिका/परिषदः छोटे शहरों की देखभाल नगर पालिका द्वारा की जाती है। जब शहर की जनसंख्या का आकार बढ़ता है तो इसे नगर निगम में बदल दिया जाता है। नगर परिषद में शामिल हैं:

  • परिषद के सदस्यों को जनता द्वारा पांच साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।
  • अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव परिषद के सदस्यों द्वारा ढाई साल के कार्यकाल के लिए किया जाता है। अध्यक्ष को शहर के पहले नागरिक के रूप में सम्मानित किया जाता है।
  • प्रत्येक परिषद में नियुक्त कर्मचारी, एक कार्यकारी अधिकारी एवं अधीनस्थ कर्मचारी और शहर के मनोनीत चुनिन्दा नागरिक होते हैं।

नगर पंचायतः नगर पंचायत की संरचना और कार्य नगर परिषदों के समान हैं। नगर पंचायतें उन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होती हैं, जिन्हें जल्द ही शहरी में बदल दिया जाना है। नगर पंचायत का गठन 74वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुसार किया गया है।

पंचायतों में आरक्षण

सभी पंचायती संस्थाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होने साथ-साथ तीनों स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीट में आरक्षण की व्यवस्था उनकी जनसंख्या के अनुपात में की गई है।

  • गांव या अन्य स्तर पर पंचायतों में अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे, जिसे राज्य की विधायिका द्वारा कानून बनाकर सुनिश्चित किया जाएगा।
  • राज्य विधानमंडल पिछड़े वर्ग के नागरिकों के पक्ष में पंचायतों के किसी भी स्तर पर अध्यक्ष पद को आरक्षित कर सकती है।

नगरपालिकाओं में आरक्षण

नगरपालिकाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीट में आरक्षण की व्यवस्था उनकी जनसंख्या के अनुपात में की गई है।

  • गांव या किसी अन्य स्तर पर नगर पालिकाओं में अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे, जिसे राज्य की विधायिका द्वारा कानून बनाकर सुनिश्चित किया जाएगा।
  • राज्य विधानमंडल नागरिकों के पिछड़े वर्ग के पक्ष में नगर में पालिकाओं किसी भी स्तर पर अध्यक्ष पद को आरक्षित कर सकती है।

संस्थाएं

स्थानीय स्तर पर संवैधानिक जनादेश (constitutional mandate) और विभिन्न योजनाओं की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए 3 मंत्रालयों का गठन किया गया हैः-

  1. पंचायती राज मंत्रालय,
  2. ग्रामीण विकास मंत्रालय (ग्रामीण विकास विभाग और भूमि संसाधन विभाग) और
  3. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय।