रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) निदेशक सम्मेलन
नई दिल्ली में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के 41वें निदेशक सम्मेलन सत्र विषय था ‘टेक्नोलॉजी लीडरशिप फॉर एम्पावरिंग इंडिया।’ यह सर्वविदित है कि भविष्य में लड़ा जाने वाला युद्ध प्रौद्योगिकी द्वारा निर्धारित होगा।
इसके लिए सशस्त्र बलों और राज्य के अन्य अंगों के बीच सहज समन्वय की आवश्यकता होगी। भावी युद्ध ज्यादा हिंसक और युद्ध स्थल के साथ अप्रत्याशित रूप से गंभीरता से लड़े जाएंगे। सशस्त्र बलों को अंतरिक्ष में गतिशील और तेज प्रौद्योगिक विकास तथा भावी युद्ध के साथ अंतरिक्ष क्षमताओं के सैन्यीकरण व बढ़ते एकीकरण के बारे में जागरुक होने की आवश्यकता होगी।
रक्षा अनुसंधान और परिचालन संबंधी उत्कृष्टता को बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करने का लक्ष्य आवश्यक है, ताकि आयात प्रणाली पर निर्भरता कम हो। साथ ही देशी नवाचार परितंत्र’ विकसित हो एवं टेक्नोलॉजी का विकास किफायती और निश्चित समय सीमा में हो।
रक्षा मंत्रालय ‘मेक इन इंडिया’, निवेश को सरल बनाने, कौशल बढ़ाने, बौद्धिक संपदा संरक्षण और निर्माण अवसंरचना जैसी पहलों के जरिए सरकार ने भारत को निकट भविष्य में ग्लोबल निर्माण का केंद्र बनाने के किए त्वरित तरीके से कार्य कर रहा है।
डीआरडीओ स्वदेशी अनुसंधान और विकास का मुख्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एवं सामरिक रक्षा प्रणालियों और बुनियादी ढांचे में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्व स्तर की हथियार प्लेटफॉर्म प्रणालियां जैसे लड़ाकू वाहन, मिसाइल, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, मानवरहित एरियल वाहन, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां, लड़ाकू विमान प्रणोदक और विस्फोटक रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।