महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में आतंक का पर्याय बन चुकी आदमखोर बाघिन अवनि को 2 नवंबर, 2018 को मार गिराया गया। अवनि को आधिकारिक रूप से टी-1 (T-1) के नाम से जाना जाता था। आदमखोर होने के बावजूद बाघिन को मारने के बाद से ही इसका विरोध हो रहा है। वन्यजीव कार्यकर्ताओं का मानना है कि इसे मारने से पहले पकड़ने के समुचित प्रयास नहीं किए गए।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरणः बाघ संरक्षण को मजबूती प्रदान करने के लिए, 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को एक सांविधिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ योजना को सांविधिक प्राधिकरण प्रदान करना, बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन में केंद्र-राज्य के उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना तथा टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की आजीविका हितों का समाधान करना है। संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत वन्यजीव संरक्षणः अनुच्छेद 51 A (g) के अनुसार जंगल, तालाब, नदियां, वन्यजीव सहित सभी तरह की प्राकृतिक पर्यावरण संबंधित चीजों की रक्षा करना व उनको बढ़ावा देना हर भारतीय का कर्तव्य है। अनुच्छेद 48 राज्यों को जीव-जन्तुओं की प्रजातियों को संरक्षित करने का निर्देश देता है। अनुच्छेद 48-। के अनुसार राज्य पर्यावरण संरक्षण व उसको बढ़ावा देने का काम करेंगे और देशभर में जंगलों व वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए काम करेंगे। |