सामाजिक कारक
जीवन की हर समस्या के लिए देवी की आराधना करने वाला भारतीय समाज कन्या के जन्म को अभिशाप मानता है। समाज में आर्थिक और सामाजिक तौर से जिस तरह समाज का विभाजन हुआ है उसमें भी लड़कियों को काम करने के लिए बाहर निकलने की आजादी नहीं है। दहेज एक ऐसा अभिशाप है जो कन्या भ्रूण हत्या के पाप को और फैलाने में सहायक होता है। लड़कियों को अच्छे घर में ब्याहने के लिए लड़की वालों को हमेशा दहेज का डर सताता है। महिलाओं के प्रति भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है। घर में सास द्वारा बहू पर अत्याचार, गर्भ में मां द्वारा बेटी की हत्या और ऐसे ही कई चरण है जहां महिलाओं की स्थिति ही शक के घेरे में आ जाती है।
आज लड़कियों की कमी की वजह से शादी करने में आने वाली दिक्कतों, अभी अपने शुरुआती स्तर पर हैं_ लेकिन आने वाले कल पर इसके प्रभाव बेहद गंभीर हो सकते हैं। समाज में कम महिलाओं की वजह से सेक्स से जुड़ी हिंसा एवं बाल अत्याचार के साथ-साथ पत्नी की दूसरे के साथ हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी हो सकती है और फिर यह सामाजिक मूल्यों का पतन कर संकट की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। समाज में बढ़ते यौन शोषण तथा यौन हिंसा इसी के परिणाम हैं।
आर्थिक कारक
भारत में स्त्री को हिकारत से देखने को सामाजिक-आर्थिक कारणों से जोड़ा जा सकता है। भारत में किए गए अध्ययनों ने स्त्री के हिकारत के पीछे तीन कारक दर्शाए गए हैं, जो हैं-आर्थिक उपयोगिता, सामाजिक-आर्थिक उपयोगिता एवं धार्मिक कार्य। अध्ययन आर्थिक उपयोगिता के बारे में यह इंगित करते हैं कि पुत्रियों की तुलना में पुत्रें एवं पुश्तैनी खेत पर काम करने या पारिवारिक व्यवसाय, आय अर्जन या वृद्धावस्था में माता-पिता को सहारा देने की संभावना अधिक होती है।
विवाह होने पर लड़का एक पुत्रवधु लाकर घर की आर्थिक स्थिति में वृद्धि करता है जो घरेलू कार्य में अतिरिक्त सहायता देती है एवं दहेज के रूप में आर्थिक लाभ पहुंचाती है जबकि पुत्रियां विवाहित होकर चली जाती हैं तथा दहेज के रूप में आर्थिक बोझ होती हैं।
राजनीतिक प्रयास
सरकार ने देश में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है। इसमें जागरूकता पैदा करने और विधायी उपाय करने के साथ-साथ महिलाओं को सामाजिक तथा आर्थिक रूप से अधिकार संपन्न बनाने के कार्यक्रम शामिल हैं।
भारत सरकार और अनेक राज्य सरकारों ने समाज में लड़कियों और महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए विशेष योजनाएं लागू की हैं। इसमें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘धन लक्ष्मी’ जैसे योजनाएं शामिल हैं।