नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कंट्रोल): भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गयी 740 किलामीटर लंबी सीमा रेखा है। यह रेखा दोनों देशों के बीच हुए युद्ध को विराम देकर त्तकालीन नियंत्रण स्थिति पर खींची गयी थी, जो आज भी लगभग वैसी ही है। तब कश्मीर के कई भागों में पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया था और भारतीय सेनाएं कश्मीर की सुरक्षा हेतु आगे आयीं थी। उत्तरी भाग में भारतीय सेना ने पाकिस्तान सेना को कारगिल सेक्टर से पीछे श्रीनगर-लेह राजमार्ग तक पछाड़ दिया था। 1965 में पाकिस्तान ने फिर आक्रमण किया किन्तु लड़ाई में गतिरोध उत्पन्न हुआ, जिसके कारण यह यथास्थिति 1971 तक बनी रही।
भारत-पाक सीमा पर व्याप्त चुनौतियां
भारत-पाक सीमावर्ती क्षेत्रें का सुरक्षा प्रबंधन
LOC का प्रबंधन
इस रेखा के भारतीय ओर इंडियन कश्मीर बैरियर है जो 550 किमी (340 मील) लंबा पृथक्करण अवरोध है और 740 किमी (460 मील) लंबी विवादित लाइन ऑफ कंट्रोल (या सीजफायर लाइन) पर बना है। यहां भारत द्वारा रेखा के काफी अंदर भारतीय नियंत्रण की ओर दोहरी बाड़ लगायी गई है।
इसका उद्देश्य हथियारों की तस्करी और पाकिस्तानी आतंकवादियों व अलगाववादियों द्वारा घुसपैठ रोकना है। यह अवरोध दोहरी बाड़ और कन्सर्टीना तारों के 8-12 फीट (2.4-3.7मी.) ऊंचाई तक बना है और विद्युतीकृत है। इसमें गति-सेंसर, ताप-चित्र (थर्मल इमेजिंग) व अलार्म सायरनों का जाल है, जहां जहां विद्युत आपूर्ति उपलब्ध है। एक छोटा भाग ऐसा भी है, जिसमें दोनों बाडों के बीच खंदक भी खुदी हुई है। इस अवरोध का निर्माण 1990 के दशक में आरंभ हुआ था, जो 2000 में पाक घुसपैठ के चलते कुछ धीमा पड़ गया था, किन्तु नवंबर 2003 के बाद घोषित युद्ध विराम के उपरांत फिर आरंभ हुआ और 2004 के अंत तक पूर्ण हुआ कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र में बाड़ 30 सितंबर 2004 को पूर्ण हुई थी। भारतीय सेना स्रोतों व आंकड़ों के अनुसार दस अवरोध से पाक घुसपैठ में 80 प्रतिशत की कमी आयी है। यहीं से पहले पाक घुसपैठिये व आतंकवादी आकर भारतीय क्षेत्र में सैनिकों पर हमले किया करते थे।