प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में किसी विदेशी कंपनी द्वारा देश में प्रत्यक्ष निवेश किया जाता है जबकि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शेयरों, म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। एफआईआई पार्टिसिपेटरी नोट, सरकारी प्रतिभूतियों, कॉमर्शियल पेपर आदि को निवेश का माध्यम बनाते हैं। एफडीआई की प्रवृत्ति अधिकांशतः स्थायी होती है, दूसरी तरफ बाजार की उथल.पुथल की स्थिति में एफआईआई जल्दी ही शेयरों की बिकवाली कर बाजार से पलायन कर जाते हैं। वर्ष 2013.14 में भारत ने 2.43 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अर्जित किया। इसमें होटल टूरिज्म, फामास्यूटिकल्स, सेवा, रसायन एवं निर्माण क्षेत्र सर्वोपरि रहे।
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स्रोत |
कुल का % |
1. |
मॉरीशस |
42 |
2. |
सिंगापुर |
9 |
3. |
यूएसए |
7 |
4. |
यूके |
5 |
5. |
नीदरलैंड |
5 |
विदेशी निवेश आकर्षित करने वाले मुख्य क्षेत्र |
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क्षेत्र |
कुल अंतःप्रवाह का % |
सेवा |
21 |
विनिर्माण |
11 |
दूरसंचार |
8 |
राष्ट्रीय निवेश कोष
3 नवम्बर, 2005 को सरकार ने ‘राष्ट्रीय निवेश कोष’ (एनआईएफ) का गठन किया था, जिसमें केन्द्रीय सरकारी क्षेत्र के उद्यमों में केंद्रीय सरकार की अल्पांश शेयरधारिता बिक्री से प्राप्त राशि को जमा किया जाएगा। इस निधि का रख.रखाव भारत के संचित कोष से अलग किया जाएगा। कोष से प्राप्त आय का उपयोग निम्नलिखित वृहत निवेश उद्देश्यों के लिए किया जाएगा.