सरकार की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि पिछले 8 वर्षों में बैंकिंग तंत्र में लेनदेन के दौरान नकली मुद्रा पकड़े जाने के मामले तेजी से बढ़े हैं। नकली मुद्रा रिपोर्टाे की संख्या 2007-08 में महज 8,580 थी और यह 2014-15 में बढ़कर 3,53,837 हो गई।
गौरतलब है कि 2007-08 में सरकार ने पहली बार यह अनिवार्य किया था कि निजी बैंकों और देश में संचालित सभी विदेशी बैंकों के लिए नकली मुद्रा पकड़े जाने संबंधी किसी भी घटना की जिम्मेदारी धनशोधन रोधी कानूनों के तहत वित्तीय खुफिया इकाई (फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट: FIU) को देना होगा। उसके बाद से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार नकली मुद्रा रिपोर्टाे की संख्या 2007-08 में महज 8,580 से 2014-15 में बढ़कर 3,53,837 हो गई।
नोटबंदी से पहले के एक आंकड़े बताते हैं कि रिजर्व बैंक और जांच एजेंसियों की संख्ती के बावजूद भारतीय बाजार में मौजूद 11.5 लाख करोड़ रुपये की करेंसी में बड़ी संख्या में नकली नोट मौजूद होने का खुलासा हुआ। इस नकली मुद्रा में तकरीबन 60 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में छापा गया था। जिसे नेपाल और बांग्लादेश के जरिए भारत भेजा गया था।
इसमें कोई दो राय नहीं कि नोटबंदी के उपरांत जाली मुद्रा की तस्करी रोकने में काफी हद तक मदद मिली है, लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों पर पूरी तरह शिकंजा नहीं कसा जा सका है। नोटबंदी के बाद भी पाकिस्तान नकली नोटों के खेल में जुटा हुआ है। उसका मकसद इसके जरिए आतंकवाद को बढ़ावा देना तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने नकली नोटों पर अंकुश रखने के लिए शैलभद्र बनर्जी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट पर अमल करते हुए मुद्रा निदेशालय में अतिरिक्त सचिव स्तर का महानिदेश का पद सृजित किया गया है। इसके अलावा कई अन्य कदम उठाए गए हैं। मसलन सरकार ने बेहद सुरक्षित किस्म के कागजों पर नोट छापने का निर्णय लिया है। इसके लिए मैसूर में एक बेहद आधुनिक तकनीक पर आधारित करेंसी कागज बनाने का कारखाना लगाया जा रहा है।
इस कारखाने में निर्मित करेंसी कागज की नकल करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा। भारत में निर्मित करेंसी कागज से सालाना 1300 करोड़ रुपये की बचत भी होगी। अभी भारत में इस्तेमाल होने वाले अधिकांश करेंसी कागज आयात्ति होते हैं। हर वर्ष भारत 1300 करोड़ रुपये मूल्य के कागज आयात करता है। नकली नोट पर लगाम लगाने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने आयात्ति कागज की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। वित्त मंत्रलय, रिजर्व बैंक, गृह मंत्रलय एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिनिधित्व वाली इस समिति ने ही देश में करेंसी कागज उत्पादन की क्षमता में आत्मनिर्भर होने की बात कही थी।
नकली नोटों के प्रवाह को रोकने के संदर्भ में सरकार ने काफी प्रयास किये हैं जैसे नकली नोटों के अवैध धंधे को रोकने के लिए वित्त मंत्रलय, गृह मंत्रलय, भारतीय रिजर्व बैंक एवं केंद्र तथा राज्य सरकारों की सुरक्षा एवं खुपिफ़या एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। रिजर्व बैंक ने नकली नोटों पर लगाम लगाने के पुराने नोटों को परिचालन से बाहर कर दिया है।
सरकार को नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए और कड़े कदम उठाने होंगे। देश में नकली नोटों से निपटना तभी संभव होगा जब सीमा पार से भेजे जा रहे नकली नोटों के प्रवाह पर अंकुश लगेगा और जनसामान्य को असली-नकली नोटों की जानकारी होगी।