आजादी के बाद से ही गैर सरकारी संगठन अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने के लिए काम कर रहे हैं, कुछ प्रमुख स्वयंसेवी संस्था के प्रयास निम्नलिखित हैं:
उत्तर प्रदेश स्थित ‘जोड़ो ज्ञान' कक्षा में वंचित समूहों के पढ़ने-पढ़ाने के तौर-तरीकों से सम्बन्धित समस्याओं के कारगर हल निकालने में कार्यरत संगठन है। इसने स्कूल कक्षा-आधारित शिक्षण को अपनाने की बजाए एक अखण्ड, एकीकृत प्रोजेक्ट आधारित दृष्टिकोण से कक्षा-रहित शिक्षण की बात करता है और 2015 तक 500 से ज्यादा प्राथमिक स्कूलों में यह कार्यक्रम संचालित कर रही है। प्रयासरत ‘प्रथम बुक्स’ अपने स्थापना काल 2004 से वंचित बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए राष्ट्रव्यापी रीड इण्डिया अभियान चला रही है और 2015 तक इसने 11 भाषाओं में 235 शीर्षक छापे हैं। ‘विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसायटी' कोलकाता (पश्चिम बंगाल) की एक संस्था है जो की शिक्षक-विकास कार्यक्रमों के अलावा वंचित समूहों के बच्चों के लिए ज्ञानार्जन में सहायक कार्यक्रम भी चलाती है।
'विद्या भवन' उदयपुर और उसके आस-पास स्थित 14 संस्थाओं का एक बड़ा समूह है। इसके शिक्षा संसाधन केन्द्र राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, आन्ध्र प्रदेश तथा गुजरात की सरकारों के साथ शिक्षा के विभिन्न पक्षों पर काम कर रहा है।