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जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान
प्रश्नः क्या सरकार ने जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद की स्थापना की है_ जैव-प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रें में क्या अनुप्रयोग हैं?
(राजा अमरेश्वर नाईक एवं विनोद कुमार सोनकर द्वारा लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ- हर्ष वर्धन द्वारा दिया गया उत्तरः भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र को प्रोत्साहन देने और विकसित करने तथा जैव प्रौद्योगिकी में शिक्षण समुदाय-उद्योग के सहयोग में वृद्धि के लिए मार्च 2012 में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में ‘जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद’ (Biotechnology Industry Research Assistance Council - BIRAC) की स्थापना की गई।
- बीआईआरएसी, अपनी विभिन्न वित्तपोषण योजनाओं के माध्यम से, अवधारणा के प्रमाण निरुपण से लेकर उत्पाद व्यवसायीकरण तक उत्पाद विकास के सभी चरणों में सहायता करता है।
- बायोटेक्नोलॉजी विभाग का मुख्य केंद्र बिंदु अनुसंधान और विकास तथा मानव संसाधन एवं अवसंरचना विकास के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है।
- जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 5 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देने के लिए मुख्य संचालक के रूप में मान्यता दी गई है। जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मुख्य रूप से अपने बहु-विषयक दृष्टिकोण के कारण स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण, ऊर्जा और औद्योगिकी प्रक्रियाओं में चुनौतियों के लिए समाधान उपलब्ध कराने की क्षमता है। इसमें विभिन्न सामाजिक चुनौतियों के लिए नवीन समाधान, जीवन के लिए हानिकारक चिकित्सा मामलों से जूझ रहे असंख्य लोगों के लिए बायोसिमिलर्स का उपयोग तथा लगभग 60% वैश्विक टीकाकरण के लिए वैक्सीन का विकास व उत्पादन शामिल है।
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