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बच्चों में कुपोषण
प्रश्नः क्या सरकार को ज्ञात है कि तीन वर्ष से कम आयु के 44 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं_ सरकार द्वारा इस संबंध में क्या सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं?
(राहुल कासवान द्वारा लोकसभा में पूछे गये अतारांकित प्रश्न)
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी द्वारा दिया गया उत्तरः राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 (2005-06) 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों की कुपोषण की स्थिति पर आंकड़े प्रदान करता है। एनएफएचएस-3 के अनुसार, 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों में ठिगनेपन (Stunting) और अल्पवजन (Underweight) का प्रतिशत क्रमशः 44.9% और 40.4% था।
- तथापि, देश में बच्चों में कुपोषण के प्रसार में कमी आई है, जैसाकि एनएफएचएस-4 (2015-16) और सीएनएनएस (2016-18) के आंकड़ों से स्पष्ट है। 2015-16 में किए गए एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के 35.7% बच्चे अल्पवजनी और 38.4% ठिगने हैं। व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (सीएनएनएस) (2016-18) की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में अल्पवजन और ठिगनेपन का प्रसार क्रमशः 33.4% और 34.7% है, जो एनएफएचएस-4 द्वारा सूचित स्तरों की तुलना में कमी का संकेत देता है।
- 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों में अल्पवजन के अत्यधिक प्रसार वाले 5 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मेघालय हैं। 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों में ठिगनेपन के अत्यधिक प्रसार वाले 5 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और मेघालय हैं।
- देश में कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए लक्षित पहलों के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्रलय अम्ब्रेला योजना- समेकित बाल विकास सेवा स्कीम (ICDS) के तहत आंगनवाड़ी सेवाओं, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और किशोरियों की स्कीम का कार्यान्वयन करता है।
- इसके अलावा, 0-6 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में समयबद्ध तरीके से सुधार हासिल करने के लिए मार्च 2018 में पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan) शुरू किया गया है।
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