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धरोहर संरचनाओं का विकास
पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी द्वारा दिया गया उत्तरः पर्यटन का विकास और संवर्धन मुख्य रूप से राज्य सरकारों / संघ राज्य क्षेत्र (UT) प्रशासनों की जिम्मेदारी है। तथापि पर्यटन मंत्रालय ‘स्वदेश दर्शन’ और तीर्थस्थान जीर्णोद्धार एवं आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान (PRASHAD) पर राष्ट्रीय मिशन नामक अपनी योजनाओं के अंतर्गत पर्यटन अवसंरचना के विकास के उद्देश्य से मध्य प्रदेश राज्य सहित विभिन्न राज्य सरकारों / संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन को केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) प्रदान करता है। ‘विरासत परिपथ’ को स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकास हेतु विभिन्न थीमों में से एक के रूप में अभिज्ञात किया गया है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) अपने क्षेत्रधिकार में आने वाले 3693 संरक्षित स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव का कार्य संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रदत्त निधियों से करता है।
- इसके अतिरिक्त पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘‘एक विरासत को अपनाएं: अपनी धरोहर, अपनी पहचान’’ परियोजना प्रारंभ की है जो पूरे भारत में फैले विरासत / प्राकृतिक / पर्यटक स्थलों को पर्यटक अनुकूल बनाने के लिए एक सुनियोजित और चरणबद्ध तरीके से वहां पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और राज्यों / संघ राज्य क्षेत्र सरकारों का एक संयुक्त प्रयास है।
- इस परियोजना का लक्ष्य सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र की कंपनियों, ट्रस्ट, गैर सरकारी संगठनों, निजी व्यक्तियों तथा अन्य हितधारकों को ‘स्मारक मित्र’ बनने और अपनी रुचि तथा कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के अंतर्गत एक स्थायी निवेश मॉडल के रूप में व्यवहार्यता के अनुसार इन स्थलों में आधारभूत और उच्च पर्यटक सुविधाओं का विकास और उन्नयन करने की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- इस परियोजना के अंतर्गत पूरे भारत में 26 स्थलों और 2 तकनीकी हस्तक्षेपों के लिए 14 स्मारक मित्रों को 28 समझौता ज्ञापन (MoUs) प्रदान किए गए हैं।
- स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2016-17 में विरासत परिपथ के तहत 89.82 करोड़ रुपए की राशि से ग्वालियर-ओरछा-खजुराहो-चंदेरी-भीमबेटका-मांडू के विकास की परियोजना को स्वीकृति दी थी जिसमें ग्वालियर तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्र में ‘बैजा ताल का विकास’, ‘बारादरी के आसपास का विकास एवं सौंदर्यीकरण’, ‘इटालियन गार्डन के आसपास का विकास’, ‘संग्रहालय तथा गोपाल मंदिर परिसर के निकट परस्पर जोड़ने वाले पाथवे का विकास’, ‘लक्ष्मीबाई स्मारक के आसपास का विकास, ग्वालियर फोर्ट का विकास’, ‘बटेश्वर मंदिर परिसर का विकास’, ‘पदावली का विकास’ और ‘मितवाली का विकास’ शामिल है।
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