Question : समावेशी विकास से आप क्या समझते हैं? भारत सरकार समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किस रणनीति को अपना सकती है? समावेशी विकास को प्राप्त करने में आने वाली बाधाओं की व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः समावेशी विकास का मतलब वृद्ध एवं गरीबों के हित निहित विकास से है। ये गरीबी के विकास दर को कम करता है एवं लोगों को विकास के मुख्य धारा से जुड़ने के दर को बढ़ाता है। समावेशी विकास का उद्देश्य संसाधनों को समाज के हर एक वर्ग के पास बराबर रूप से पहुंचाना है। लेकिन संसाधनों का वितरण एवं इसकी उपलब्धता लघु एवं दीर्घकालीन लाभ को ध्यान में रखकर होना चाहिए।
रणनीति
चुनौतियां
Question : भारत में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के निष्पादन की चर्चा कीजिए। पर्यावरण ने किस प्रकार उनके निष्पादन को प्रभावित किया है? भारत में विनिवेशन की नीति का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
Answer : उत्तरः बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इंडियन ऑयल, तेल व प्राकृतिक गैस लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इण्डिया लिमिटेड व पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन शीर्ष पांच लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में 2017-2018 में शामिल थे। इसी दौरान भारत संचार निगम लिमिटेड, एयर इण्डिया लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड आदि घाटे में चल रहे थे।
आलोचात्मक मूल्यांकन
Question : क्या आप मानते हैं कि आईएनडीसीएस (INDCs) के माध्यम से कोई राष्ट्र पर्यावरण क्षरण के वैश्विक मुद्दे के लिए अपनी भूमिका को उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से निभा सकता है। कोप 21 सम्मेलन के आलोक में और हाल में संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के तहत भारत द्वारा उठाए गए कदमों की पृष्ठभूमि में इसकी चर्चा करें।
Answer : उत्तरः INDC को प्रत्येक देश के जलवायु परिवर्तन के लिए कार्यक्रम के रूप में भी जाना जाता है। विश्व के सभी देश जो UNFCCC के सदस्य हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं और भविष्य के लिए कार्यक्रम का भी निर्धारण होगा।
भारत का पक्ष
एस्ट्रोसैट मिशन के वैज्ञानिक उद्देश्य हैं-
Question : ‘‘मैंग्रोव वन, जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव को स्पष्ट करने वाले शक्तिशाली संकेतकों में से एक है। इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए, इसके प्रकार्य और इसके अस्तित्व के विभिन्न खतरों का उल्लेख करें।
Answer : उत्तरः ‘‘मैंग्रोव वन धरती तथा समुद्र के बीच एक उभय प्रतिरोधी (बफर) की तरह कार्य करते हैं तथा समुद्री प्राकृतिक आपदाओं से तटों की रक्षा करते हैं। पारम्परिक रूप से स्थानीय निवासियों द्वारा इनका प्रयोग भोजन, औषधि, टेनिन, ईंधन तथा इमारती लकड़ी के लिये किया जाता है। तटीय इलाके में रहने वाले लाखों लोगों के लिये जीवन यापन का साधन इन वनों से प्राप्त होता है।
मैंग्रोव वन के कार्य
मैंग्रोव वन विभिन्न प्रकार के चुनौतियों से गुजर रहा है, जिससे इसका अस्तित्व खतरे में है, निम्न हैः
वनों की कटाई
विश्व के लगभग 50% से अधिक मैंग्रोव वन नष्ट हो चुके है। दक्षिण पूर्व एशियायी देशों में एवं लैटिन अमेरिकी देशों के मैंग्रोव वनों में लगातार कमी आ रही है।
Question : संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2015 में सतत विकास लक्ष्य (SDG’s) पर स्वीकृति प्रस्ताव सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG’s) की पुनरावृत्ति है। भारत के संदर्भ में सतत विकास लक्ष्य (SDG,s) के बेहतर परिणाम के लिए आप क्या सुझाव देना चाहेंगे?
Answer : उत्तरः अंतर्राष्ट्रीय विकास से संबंधित ‘सतत विकास लक्ष्य’ तथा ‘एजेन्डा 2030’ को अंतर्सरकारी स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है। सतत विकास लक्ष्य को वर्ष 2015 में समाप्त हो रहे ‘सहस्राब्दी विकास लक्ष्य’ के स्थान पर अपनाया गया है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 1 जनवरी, 2016 से हो गया। सतत विकास लक्ष्य पर सर्वप्रथम रियो-डि जेनेरियो में 2012 में रियो+20 में चर्चा हुई थी। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सम्मेलन, 2015 में ‘सतत विकास लक्ष्य’ को आधिकारिक तौर पर अपना लिया गया। इसमें निम्नलिखित लक्ष्य शामिल हैं-
Question : ग्रामीण-शहरी वायु प्रकोष्ठ (Rural & Urban wind cell) की संकल्पना क्या है? इन दोनों क्षेत्रों में इसके प्रभाव का वर्णन करें।
Answer : उत्तरः नगरीय तथा ग्रामीण में सूक्ष्म जलतापवीय स्तर पर व्यापक भिन्नता है। यह भिन्नता मूल रूप से पृथ्वी के धरातल में मनुष्य की विनिर्माण संबंधी गतिविधियों द्वारा लाए गए परिवर्तनों तथा पर्यावरण में कृत्रिम रूप से प्राप्त ऊर्जा उत्सर्जन के द्वारा लाई गई है।
नगरीय क्षेत्रों की ऊर्जा विशेषताएं
नगरीय जलवायु
Question : NDMA भारत तथा पड़ोसी देशों में आपदा प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। क्या आपको यह लगता है कि यह आपदा कूटनीति का एक हिस्सा है? मूल्यांकन करें।
Answer : उत्तरः आपदा कूटनीति दो शब्दों- आपदा तथा कूटनीति से मिलकर बना है। आपदा शब्द एक आकस्मिक दुर्घटना, प्राकृतिक घटना आदि को इंगित करती है जो व्यापक स्तर पर जान माल को नुकसान पहुंचाती है, वहीं कूटनीति शब्द सामान्यतः शांतिपूर्ण तरीकों तथा वार्ता इत्यादि द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा मामलों में राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा तथा राष्ट्रीय लक्ष्यों/उद्देश्यों की प्राप्ति को इंगित करता है।
उदाहरण
Question : हिमालय पर्वत प्रणाली एक विशिष्ट दक्षिण एशिया जलवायु परिस्थिति बनाती है। व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः हवा और जल संचरण की विशाल प्रणालियों को प्रभावित करने वाले विशाल जलवायवीय विभाजक के रूप में हिमालय दक्षिण में भारतीय उपमहाद्ववीप और उत्तर में मध्य एशियाई उच्चभूमि की मौसमी स्थितियों को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
हिमालय और दक्षिणी एशिया
Question : ऊष्मा बजट (Heat Budget) क्या है? इसके प्रभावों की चर्चा कीजिए। क्या आप ऐसा सोचते हैं कि वैश्विक ऊष्मण (Global warming) ऊष्मा बजट को किसी भी रूप में प्रभावित कर रहा है? व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः
ऊष्मा बजट
सूर्य द्वारा निरंतर प्रकाश ऊर्जा की आपूर्ति के बाद भी पृथ्वी का औसत तापमान परिवर्तित नहीं होता। इसका कारण है कि पृथ्वी से समान मात्रा में ऊर्जा अंतरिक्ष में परावर्तित कर दी जाती है। इस प्रकार, पृथ्वी पर आने वाले सौर विकिरण तथा पृथ्वी से बाहर जाने वाले पार्थिव विकिरण के मध्य संतुलन बना रहता है।
कुल - 35 इकाइयां
परावर्तित विकिरण की यह मात्रा पृथ्वी का एल्बिडो कहलाती है। शेष 65 इकाइयां अवशोषित होती है जो इस प्रकार हैं-
कुल - 65 इकाइयां
वायुमण्डल में पहुंची 34 इकाइयों का ऊष्मा बजट
कुल - 34 इकाइयां
कुल - 65 इकाइयां
Question : प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से आप क्या समझते हैं? महासागरों में बढ़ते प्लास्टिक स्तर के प्रभाव का मूल्यांकन करते हुए अब तक इससे निपटने हेतु किए गए प्रयासों पर टिप्पणी करें।
Answer : उत्तरः केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रलय द्वारा वर्ष 2016 में जारी प्लास्टिक प्रबंधन के नियमों के अनुसार बहुलकों से निर्मित पॉलिविनाइल अथवा प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं को प्लास्टिक अपशिष्ट की क्षेणी में रखा गया है।
महासागर में बढ़ते प्लास्टिक का प्रभाव
प्लास्टिक कचरे से निपटने में चुनौतियां
प्लास्टिक कचरे से निपटने हेतु उठाए गए कदम
Question : जल संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है?
Answer : उत्तरः जल संभर प्रबंधन से तात्पर्य, मुख्य रूप से धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों जैसे-अंतः स्रवण तालाब, पुनर्भरण, कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल है। विस्तृत अर्थ में इसके अंतर्गत सभी संसाधनों प्राकृतिक और जल संभर सहित मानवीय संसाधनों के संरक्षण, पुनरूत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग को सम्मिलित किया जाता है। जल संभर प्रबंधन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है। जल संभर की व्यवस्था मुख्यतः समुदाय के सहयोग पर निर्भर करती है।
Question : भारत में नगरीय अपशिष्ट से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख करें।
Answer : उत्तरः नगरीय क्षेत्रों को प्रायः अति संकुल, भीड़-भाड़ तथा तीव्र बढ़ती जनसंख्या के लिए अपर्याप्त सुविधाएं और उसके परिणामस्वरूप साफ-सफाई की खराब स्थिति एवं प्रदूषित वायु के रूप में पहचाना जाता है।
(1) घरेलू प्रतिष्ठानों से और (2) व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से
Question : परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों के आधुनिक काल में अपनाकर जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा सकता है, चर्चा करें।
Answer : उत्तरः प्राचीन भारत से ही जल संग्रहण की अनेक पद्धतियों को अपनाया जा रहा है। इनका विवरण निम्न प्रकार है-
Question : भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण में योगदान किया है? इस कथन का परीक्षण करें।
Answer : उत्तरः वन संरक्षण की नीतियां हमारे देश में कोई नई बात नहीं है। वस्तुतः भारत में कुछ क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अपने-अपने आवास स्थलों के संरक्षण में जुटे हैं।
Question : हाल ही में सिटी गैस वितरण परियोजना की नौवें चरण को प्रारंभ किया गया। सिटी गैस वितरण परियोजना क्या है? क्या आप मानते हैं कि यह सरकार की स्वच्छ ऊर्जा पहल को समर्थन करने में सहायक होगी। चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भविष्य की ईंधन के रूप में गैस को पहचानने के पश्चात् गैस आधारित अर्थव्यवस्था पर जोर देने तथा ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सिटी गैस वितरण परियोजना प्रारंभ की गई है।
Question : एक हालिया अध्ययन के अनुसार प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण पादपों और कीटों की प्रजातियों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप परागणकारी प्रजातियों की संख्या में निरंतर कमी हो रही है। इस संदर्भ में परागणकारी प्रजातियों के महत्व एवं संकट के कारकों को बताते हुए उपयुक्त समाधान सुझाएं।
Answer : उत्तरः परागण प्रजातियों के अंतर्संबंधों के पारिस्थितिक सिद्धांत पर आधारित एक प्रक्रिया है, जिसे पौधों और परागणकारी जीवों के मध्य प्रोटोकोऑपरेशन के रूप में जाना जाता है।
परागणकारी प्रजातियों तथा परागण का महत्व
परागणकारी प्रजातियों पर संकट के कारण
क्या किया जाए?
Question : अपक्षय क्या है? इस प्रक्रिया के पारिस्थितिकीय और आर्थिक महत्व पर चर्चा कीजिए।
Answer : उत्तरः अपक्षय पृथ्वी के वायुमंडल जीव जगत या जल के साथ संपर्क के माध्यम से चट्टानों, मृदा और खनिजों की विघटन की क्रमिक और सतत प्रक्रिया को संदर्भित करता है। यह स्वस्याने परिघटना है, जो मौसम के अपक्षयकारी बलों; जैसे कि तापमान में परिवर्तन, तुषार और वर्षा के प्रभाव आदि के कारण होती है।
अपक्षय का पारिस्थितिकीय महत्व
अपक्षय का आर्थिक महत्व
Question : ‘‘प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन विकास के लिए अभी भी अपरिहार्य है।’’ विवेचना कीजिए।
Answer : उत्तरः ऊर्जा किसी भी देश के विकास की मेरूदण्ड रही है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए ऊर्जा की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऊर्जा के कई स्रोत हैं। जैसे-जैसे आर्थिक विकास की गति बढ़ती है वैसे-वैसे ऊर्जा की खपत बढ़ती जाती है। और इस प्रकार देश की आर्थिक प्रगति निरन्तर आगे बढ़ती रहती है।
Question : कार्बन अवशोषण (कैप्चर) और भंडारण (स्टोरेज) (सीसीएस) प्रोत्साहन से आप क्या समझते हैं? ये प्रोत्साहन वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में किस सीमा तक अपना योगदान अदा करते हैं, चर्चा कीजिए।
Answer : उत्तरः कार्बन अवशोषण एवं भंडारण से तात्पर्य तकनीक के एक ऐसे सेट से है जो नये एवं मौजूद कोयला एवं गैस आधारित विद्युत संयंत्र, औद्योगिक प्रक्रियाओं एवं अन्य (CO2) के स्थिर स्रोतों से उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन में व्यापक स्तर पर कमी लाने का कार्य करती है।
Question : ऊर्जा सुरक्षा क्या है? इसे लेकर अंतर्राष्ट्रीय खतरे क्या हैं? इसके लिए क्या कदम उठाये जाना चाहिए?
Answer : उत्तरः किसी भी राष्ट्र के विकास हेतु तथा उसकी वाणिज्यिक व आर्थिक गतिविधियों के लिए सतत् रूप से ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित होना ही ऊर्जा सुरक्षा कहलाता है जिस पर वर्तमान में एक प्रश्न चिह्न लगा हुआ है।
Question : खाद्य बनाम ईंधन (Food Vs Fuel) के बहस के कारणों के प्रभावों पर प्रकाश डालिए।
Answer : उत्तरः खाद्य बनाम ईंधन के बहस का मुद्दा इस कारण से उत्पन्न हुआ है कि कृषि भूमि या फसलों का जैव ईंधन के उद्देश्यों के लिए प्रयोग का खतरा बढ़ता जा रहा है।
प्रभाव
Question : परिवहन क्षेत्र के लिए वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध हैं? उनके अभिलक्षणों और उनका उपयोग किए जाने पर उनके लाभों और हानियों पर चर्चा कीजिए।
Answer : उत्तरः वैकल्पिक ईंधनों से हमारा अभिप्राय ऐसे गैर-जीवाश्म एवं गैर-नाभिकीय ईंधनों से है, जिनके अनुप्रयोग से मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को नुकसान न हो। हमारे पास ऐसे कई विकल्प मौजूद हैं जिनका प्रयोग हम परिवहन क्षेत्र में ईंधन के रूप में कर सकते हैं, जैसे-हाइड्रोजन, हाईथीन, अंतरिक्ष से प्राप्त ऊर्जा मिश्रित ईंधन के रूप में गैसोहॉल एवं बायोडीजल आदि का प्रयोग।
Question : भारत ने अभी हाल ही में पेरिस जलवायु समझौते को स्वीकृत कर लिया है। ऐसे में भारत के 2030 जलवायु कार्य योजना योगदान (INDC) के लक्ष्यों की चर्चा करते हुए बताएं कि इनको पाने से भारत किस सीमा तक जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने में सफल हो सकता है?
Answer : उत्तरः भारत ने अपने राष्ट्रीय तौर पर अभीष्ट निर्धारित योगदान (INDC-Intended Nationally & Determined Contribution) जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र-फ्रेम कन्वेंशन को प्रस्तुत कर दिया है।
जलवायु कार्य योजना के प्रमुख लक्ष्य
अपेक्षित संसाधन और संसाधन अंतर के आलोक में उपरोक्त उपशमन और अनुकूलन कार्रवाइयां करने के लिए घरेलू धनराशि और विकसित देशों से अतिरिक्त धन जुटाना।
निष्कर्ष
Question : ई-अपशिष्ट क्या है? मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः ई-अपशिष्ट, अनुपयोगी उपकरणों से प्राप्त होने वाला ऐसा पदार्थ है जिसमें सिलिकॉन, पारा लेड,
इरीडियम इत्यादि हानिकारक पदार्थ पाये जाते हैं। ई-अपशिष्ट में बल्ब, पुराने मोबाईल, बैटरी, की-बोर्ड इत्यादि को रखा जा सकता है। ई-अपशिष्ट सबसे ज्यादा मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। ई-अपशिष्ट के प्रभाव को हम निम्न प्रकार से देख सकते हैं-
Question : यदि आप किसी भूकंप संभावित क्षेत्र के जिलाधीश हैं तो भूकंप की दशा में न्यूनतम जान-माल की क्षति हो इसके लिए आप क्या सक्रिय और निवारक कदम उठाएंगे?
Answer : उत्तरः भूकंप का सामना करने की कोई भी रणनीति बहुआयामी होनी चाहिए। भूकंप के आगमन की पूर्व चेतावनी देने की कोई प्रभावी प्रणाली न होने के कारण प्रारंभिक सावधानियां और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। विश्व के कई क्षेत्रों जैसे जापान में भूकंप, बार-बार आते हैं परंतु वहां सामान्यतः जीवन की कोई हानि नहीं होती क्योंकि लोगों ने भूकंपों के साथ जीने का तरीका सीख लिया है। उन्होंने भूकंप के अनुरूप ऐसी इमारतें निर्मित की है जो भूकंप आने के पर सुरक्षित रहती है तथा क्षतिग्रस्त नहीं होती। इसके अतिरिक्त क्या करना है तथा क्या नहीं करना है जैसे निर्देशों का पालन करते हैं।
जिलाधिकारी की भूमिका
आपदा के दुष्प्रभाव को कम करने तथा जीवन की रक्षा हेतु जिला प्रशासन द्वारा निम्न कदम उठाए जा सकते हैं-
अन्य तत्संबंधी उपाय
Question : निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी कीजिए।
Answer : उत्तर (a): गहन परिस्थितिकीः इससे तात्पर्य है कि हमें पर्यावरण व पारिस्थितिकी के प्रति गहरी सोच रखते हुए यह समझना होगा कि प्रकृति सभी जीव-जन्तुओं तथा वनस्पतियों को लेकर एक जटिल संरचना बनाती है। अतः किसी भी प्रकार से इस श्रृंखला का टूटना अन्ततः घातक सिद्ध होता है, जैसे- मधुमक्खी का मरना पूरी दुनिया में फूलों से फल व फल से बीज की प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। अतः हमें अनावश्यक रूप से पारिस्थितिकी तंत्र के विरूद्ध कोई भी हानिकारक कदम नहीं उठाना चाहिए। जल व अन्न की भी बचत करनी चाहिए।
उत्तर (b): पारिस्थितिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ब्रिटिश पारिस्थितिकी विज्ञानी टेनसले ने किया था जिससे तात्पर्य है ‘प्रत्येक जन्तु या वनस्पति एक निश्चित वातावरण में रहते हैं अतः इसमें यह पता लगाया जाता है कि जीव आपस में व पर्यावरण के साथ किस प्रकार की पारस्परिक क्रियाएं करते हैं’। चूंकि पारिस्थितिकी तंत्र को जीवों (पशु, वनस्पति व सूक्ष्मजीव) तथा पर्यावरण के मध्य संपर्कों के नेटवर्क के रूप में परिभाषित किया जाता है अतः वे किसी भी प्रकार के हो सकते हैं परंतु सामान्यतया इनके विशिष्ट एवं सीमित स्थान होते हैं।
उत्तर (c): जैव-सांस्कृतिक विविधता को ‘‘सभी रूपों में जीवन की विविधताः “जैविक, सांस्कृतिक तथा
भाषायी जोकि एक जटिल सामाजिक-पारिस्थितिकीय अनुकूलन प्रणाली के अंतर्गत परस्पर जुड़े (या साथ में विकसित) होते हैं’’ के रूप में परिभाषित किया जाता है। जीवन की विविधता न सिर्फ पौधों तथा पशु प्रजातियों, आवास तथा पारिस्थितिक प्रणाली अपितु भिन्न मानव संस्कृति तथा भाषाओं को भी अपने में शामिल करती है। कुछ भौगोलिक क्षेत्र उच्च जैव-सांस्कृतिक विविधता वाले क्षेत्र होते हैं जिनमें निचले आक्षांश, ‘उच्च वर्षा, उच्च तापमान, मैदान तथा सूखी जलवायु वाले क्षेत्र शामिल हैं।
उत्तर (d): मानव जाति पारिस्थितिकीय प्रणाली से विभिन्न प्रकार से लाभान्वित होता है। सामूहिक रूप से इन लाभों को पारिस्थितिकीय सेवाएं कहा जाता है। पारिस्थितिकीय सेवाएं सदैव स्वच्छ पेयजल के प्रावधान तथा अपशिष्टों के अपघटन में संलग्न रहती है। पारिस्थितिकीय सेवाओं की संकल्पना 2000 के आरंभ में सहस्त्राब्दी पारिस्थितिकीय मूल्यांकन (MA) के द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। इसने पारिस्थितिकीय सेवाओं को चार बड़े वर्गों में विभाजित कियाः प्रावधानीकरण, नियमन, सहायताकारी तथा सांस्कृतिक।
Question : क्या आपको लगता है कि संरक्षण से संबंधित मुद्दों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं का मूल्यांकन आवश्यक होगा?
Answer : उत्तरः सहस्त्राब्दी पारिस्थितिकी तंत्र मूल्यांकन में पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी सेवाओं को निम्न रूप में परिभाषित किया गया है- ऐसी सेवाएं जिनको मनुष्य पारिस्थितिकी तंत्र से प्राप्त करता है।
Question : कार्टाजेना प्रोटोकॉल के विषय में आप क्या जानते हैं? सदस्य राष्ट्रों के उत्तरदायित्व क्या हैं?
Answer : उत्तरः जैव विविधता के संरक्षण, उसके घटकों के सतत उपयोग और अनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न लाभों की उचित और न्यायसंगत साझेदारी जैव विविधता सम्मेलन (1992) के मुख्य लक्ष्य हैं।
स्थिति
उद्देश्य
मुख्य विशेषताएं
प्रोटोकॉल के शासी निकाय
प्रोटोकॉल की पार्टी बनने का लाभ
Question : जैविक खेती पर चर्चा कीजिए। भारतीय कृषि में इसकी क्षेत्र व सीमाएं व्याख्यायित करें।
Answer : उत्तरः प्राकृतिक प्रकार से की जाने वाली ऐसी खेती जो हम जैविक खाद, केंचुओं से निर्मित खाद, हरे पत्तों की खाद, पशुओं के मलमूत्र से निर्मित खाद, फसल प्रारुप में परिवर्तन आदि की सहायता से करते हैं। इसमें कीटनाशकों के अन्तर्गत गाय के मूत्र तथा नीम के तेल का उपयोग किया जाता है तथा रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के प्रयोग से बचा जाता है।
भारत में जैविक खेती की सम्भावनाएं या क्षेत्र
लाभ
हानियां
Question : प्राकृतिक आपदाओं से विरासत और स्थापत्य को बचाने के क्या सर्वोत्तम निरोधात्मक उपाय हो सकते हैं? हाल के उत्तरांचल आपदा के प्रकाश में इस पर चर्चा करें।
Answer : उत्तरः देश की स्थापत्य धरोहरों को अनेक मानवीय तथा प्राकृतिक कारकों से नुकसान पहुंच सकता है। प्राकृतिक कारकों के अंतर्गत भूकंप, ज्वालामुखी उद्भेदन, बाढ़, भूस्खलन, अग्निकांड आदि शामिल हैं।
पूर्वानुमान
तैयारी
बचाव
Question : भारत में हिमालयीय क्षेत्र के पर्यावरणीय निम्नीकरण के कारण और परिणामों तथा इससे जुड़े संरक्षण उपायों की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः हिमालय युवा पर्वत है। ये सभी भी निर्माण की अवस्था से गुजर रहे हैं। मानवीय तथा प्राकृतिक कारणों से हिमालय के पर्यावरण का ह्रास हो रहा है। भौतिक, मानवीय, सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक कारक प्रायः एक-दूसरे से अंतर्संबंधित होकर उस प्रक्रिया को बल दे रहे हैं जिसने हिमालय को पर्यावरणीय तथा सामाजिक आर्थिक पतन के कगार पर पहुंचा दिया है। इसके कारण निम्नलिखित हैं-
अभूतपूर्व जनसंख्या वृद्धि
गरीबी
दोषपूर्ण कृषि पद्धति
पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का अत्यधिक निर्माण
पर्यटन की अधिकता
राजनीतिक प्रक्रिया
संरक्षणात्मक उपाय
Question : क्या कोरल ब्लीचिंग की गति पर्याप्त रूप से ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति से जोड़ी जा सकती है? इस तथ्य को साबित करें एवं एक क्रियाविधि (mechanism) की रचना कीजिए जिसमें वैश्विक उष्मण की दर को कोरल ब्लीचिंग (प्रवाल विरंजन) की दर तक कम किया जा सके।
Answer : उत्तरः जब प्रवाल भित्तियों का रंग उड़ने लगता है तो यह प्रक्रिया कोरल ब्लीचिंग अथवा प्रवाल विरंजन कहलाती है। यह घटना सर्वप्रथम 1919 में अल्फ्रेड मेयर द्वारा देखी गई परंतु इसने वैश्विक स्तर पर 1998 में ध्यान आकर्षित किया जब कीनिया तट के निकट तथा हिंद महासागर के द्वीपों में 70% से अधिक प्रवालों की मृत्यु हो गई थी।
प्रवाल समुद्री सतह की निगरानी
समुद्री रसायनिकी में बदलाव