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- अक्षय कुमार जायसवाल
विशेषज्ञ सलाह
दर्शनशास्त्र ही क्यों चुनें?
- इसका पाठ्यक्रम अपेक्षाकृत संक्षिप्त है, अतः इसका रिवीजन आसान है|
- यह विषय समसामयिक घटनाओं व मुद्दों पर अपेक्षाकृत कम निर्भर है|
- अन्य विषयों की तुलना में इसे कम समय (लगभग डेढ़ से दो माह) में तैयार किया जा सकता है|
- पाठ्यक्रम का विभाजन बहुत सरल है|
- विभिन्न दार्शनिकों केकथनोंका अनुसरण करना है, अतः अपनी कल्पना शक्ति के इस्तेमाल से बचा जा सकताहै|
- समय-समय पर कई उम्मीदवार इसे चुनकर अच्छी रैंक हासिल कर चुके हैं जैसे- अथर आमिर खान (2015, सेकंड रैंक)
- प्रश्न की मांग के अनुसार यदि उत्तर खूबसूरती से प्रस्तुत किया जाए तो यह अधिक अंकदायी विषय बन जाता है|
दर्शनशास्त्र वैकल्पिक विषय और भ्रांतियां
दर्शनशास्त्र उबाऊ (बोरिंग) विषय है
यह मात्र एक कोरी कल्पना है क्योंकि यदिआपको ऐसा लगता है तो इसका अर्थ है कि आपने विषय को सिर्फ पढ़ना (रीडिंग) शुरू किया है अध्ययन (स्टडी) करना नहीं| एक बार विषयवस्तु, उद्देश्य तथा दार्शनिक के मन को समझ लेने के बाद दर्शनशास्त्र से रुचिपूर्ण विषय शायद ही कोई होगा।
दर्शनशास्त्र विषय चलन (ट्रेंड) से बाहर है|
आपको ऐसा इसलिए लग सकता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में चयनित अभ्यर्थियों में दर्शनशास्त्र वैकल्पिक विषय रखने वाले अभ्यर्थी बहुत कम देखने को मिले हैं; परंतु इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि यह चलन से बाहर है बल्कि तथ्य यह है कि अधिकतर उम्मीदवारों को दर्शनशास्त्र के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है, अतः अपर्याप्त जानकारी तथा अन्य विषयोंके चयनकी बढ़तीआवृत्तिने दर्शनशास्त्र से चयन को हाल ही के वर्षों में प्रभावित किया है।
दर्शनशास्त्र विषय में अधिक अंक नहीं मिलते
यह बात बिल्कुल गलत है, क्योंकि पूर्व चयनित कई अभ्यर्थियों ने इस विषय के साथ अच्छे अंक अर्जित किए हैं ; जैसे- आनंदू सुरेश गोविंद ने वैकल्पिक विषय में कुल 319 अंक प्राप्त किए थे जो अपेक्षा से कहीं अधिक अच्छा स्कोर है|
यहां फिर यह बात दोहराना चाहूंगा कि यदि प्रश्न की मांग के अनुसार सुव्यवस्थित ढंग से उत्तर प्रस्तुत किया जाए तो यह विषय अधिक अंक अर्जित करने की क्षमता रखता है।
दर्शनशास्त्र अंग्रेजी माध्यम वाले अभ्यर्थियों हेतु सही विषय है
यह भी एक गलत भ्रांति है क्योंकि कोई भी विषय भाषा के अनुसार अंक प्रदान नहीं करता| आपकी कोई भी भाषा हो; विषय सामग्री की गुणवत्ता, कम शब्दों में अधिक बात कहना, दार्शनिकों के विचारों का प्रयोग व एक प्रवाहमय प्रस्तुतीकरण ही आपको अधिक अंक अर्जित करवाती है।
दर्शनशास्त्र प्राचीन इतिहास और एथिक्स जैसा विषय है
दर्शनशास्त्र में दार्शनिकों जैसे गौतम बुद्ध, महावीर जैन तथा षड्दर्शन के प्रवर्तकों आदि के शामिल होने के कारण इसे प्राचीन भारतीय इतिहास से संबद्ध कर दिया जाता है, परंतु इन दोनों विषयों में कुछ मौलिक अंतर भी है, जैसे-जहां दर्शनशास्त्र में इन दार्शनिकों की मीमांसा पर जोर होता है वहीं इतिहास में इनसे संबंधित सभी ऐतिहासिक पहलुओं को शामिल किया जाता है| इसी प्रकार एथिक्स की विषयवस्तु दर्शनशास्त्र के अंग ‘नीति मीमांसा’ का एक भाग है।
अंततः यह बात सत्य प्रतीतहोती है कि दर्शनशास्त्र में कुछ बिंदुओं पर इतिहास व एथिक्स विषय की झलक मिलती है।
दर्शनशास्त्र का मुख्य परीक्षा के अन्य प्रश्न-पत्रों में योगदान
दर्शनशास्त्र न सिर्फ वैकल्पिक विषय के रूप में बल्कि मुख्य परीक्षा के अन्य प्रश्न पत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे:-
- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 में इतिहास तथा भारतीय समाज सेक्शन के टॉपिक दर्शनशास्त्र के प्रश्न-पत्र-2 (सामाजिक-राजनीतिक दर्शन) से प्रभावित हैं,
- इसी प्रकार सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र-2 में संविधान का दर्शन तथा कल्याणकारी संकल्पना पर दर्शनशास्त्र का प्रभाव है,
- वहीं सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र-3 में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति कुछ इस प्रकार की रहती है कि तकनीकी पर्यावरण आदि विषयों के उत्तर देते समय दर्शनशास्त्र से इनपुट लिए जा सकते हैं।
- सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र-4 में नीतिशास्त्र स्वयं दर्शनशास्त्र की नीति मीमांसा पर आधारित है।
हाल ही में हुई 2021 की मुख्य परीक्षा के निबंध प्रश्न-पत्र पर गौर करें तो पाते हैं कि सभी 8 निबंधों के विषय सीधे दर्शनशास्त्र से लिए गए है जैसे:-
- आत्मसंधान की प्रक्रिया अब तकनीकी रूप से बाहरी स्त्रोतों को सौंप दी गई है।
- आपकी मेरे बारे में धारणा आपकी सोच दर्शाती है, आपके प्रति मेरी प्रतिक्रिया मेरा संस्कार है।
- इच्छा रहित होने का दर्शन काल्पनिक आदर्श (यूटोपिया) है, जबकि भौतिकता माया है।
- सत ही यथार्थ है और यथार्थ ही सत है।
- पालना झुलाने वाले हाथों में ही संसार की बागडोर होती है।
- शोध क्या है, ज्ञान के साथ एक अजनबी मुलाकात।
- इतिहास स्वयं को दोहराता है पहली बार एक त्रासदी के रूप में दूसरी बार एक प्रहसन के रूप में।
- सर्वोत्तम कार्य प्रणाली से बेहतर कार्य प्रणालियां भी होती हैं।
उक्त संदर्भित बातों से यदि गणितीय निष्कर्ष निकाला जाए तो दर्शनशास्त्र, अंक अर्जन की दृष्टि से महत्वपूर्ण वैकल्पिक विषय इस प्रकार साबित होता है।
वैकल्पिक विषय प्रश्न पत्र-1 |
250 अंक |
वैकल्पिक विषय प्रश्न पत्र-2 |
250 अंक |
निबंध |
250 अंक |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1, 2, 3 (संयुक्त रूप से) |
150 अंक (औसतन) |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-4 |
150 अंक (औसतन) |
स्पष्ट है कि सही रणनीति द्वारा दर्शनशास्त्र वैकल्पिक विषय के साथ मुख्य परीक्षा में शामिल होने से लगभग 1050 अंक का वेटेज मिल सकता है।
यूपीएससी की अपेक्षाएं
वैकल्पिक विषय के संदर्भ में यूपीएससी यह मानकर चलता है कि विषय की समझ अभ्यर्थी में स्नातक/स्नातकोत्तर स्तर की है, अतः प्रश्नों के उत्तर देते समय आपको यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि उत्तर सारगर्भितएवं सटीक हो तथा विशिष्ट प्रकृति के हो, ना की सामान्य प्रकृति के (जैसे सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्रों में होते हैं)|
- यहां भाषा की कोई बाध्यता नहीं है, जिस भी भाषा में आप सहज महसूस करते हैं तथा उक्त अपेक्षाओं को पूर्ण कर सकते हैं उसी भाषा का चयन करना चाहिए।
विषय तैयार करने में आने वाली चुनौतियां व समाधान
दर्शनशास्त्र आपके स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर विषय नहीं रहा है अर्थात यह आपके लिए नया है|
- समाधान: आप पहले विषय के पाठ्यक्रम व पूर्व वर्षो में पूछे गए प्रश्नों का अध्ययन करें| फिर पाठ्यक्रम को सुविधा अनुसार बांटकर पहले उन टॉपिक्स को तैयार करें जिनसे प्रश्न बार-बार पूछे जाते हैं।
नोट्स बनाएं या सीधे प्रिंटेड मैटेरियल/बुक से पढ़ें?
- समाधान: यह पूर्णतः आपकी पसंद पर निर्भर करता है परंतु सलाह यही है कि आप उपलब्ध समय अनुसार शॉर्ट नोट्स जरूर बनाएं।
कितनी बार पढ़ें?
- समाधान: संपूर्ण पाठ्यक्रम को कम से कम 3 बार तो गहराई से पढ़ना चाहिए तथा 2 बार रिवीजन के तौर पर। इस प्रकार कुल 5 बार पढ़ा जा सकता है|
उत्तर लेखन अभ्यास कब करें?
- समाधान: कम से कम 4 माह तो उत्तर लेखन अभ्यास करना ही चाहिए। आप अपनी सुविधा अनुसार 3 माह लगातार प्रारंभिक परीक्षा के पहले तथा 1 माह लगातार प्रारंभिक परीक्षा के पश्चात यह लेखन अभ्यास कर सकते हैं|