- होम
- विशेषज्ञ सलाह
- Editorial Team
विशेषज्ञ सलाह
विषयों की प्राथमिकता के आधार पर बनाएं अपनी रणनीति
- संपादकीय मंडल
पिछले अंक में हमने असफलता के लगभग प्रत्येक पहलू पर चर्चा की। इस अंक से हम लोग विधिवत रूप से समग्र तैयारी की रणनीति पर विचार करेंगे, कि हिंदी माध्यम में सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है।
सर्वप्रथम हम लोग थोड़ी चर्चा उस समय की करें, जिस समय हिंदी माध्यम से अच्छे परिणाम आते थे या हिंदी माध्यम के प्रतियोगी भी मुख्य परीक्षा में अच्छे अंक से उत्तीर्ण होते थे, साथ ही वैकल्पिक व सामान्य अध्ययन के विषयों में भी अच्छे अंक प्राप्त करते थे।
- अगर हम वर्ष 2000 के आस-पास की तैयारी की रणनीति की चर्चा करें तो उस समय ज्यादातर विद्यार्थी अपने सीनियर या शिक्षक के मार्गदर्शन में तैयारी करते थे। सीनियर सामान्यतः दुर्भावना से प्रेरित नहीं होते थे। वे आपको अपना छोटा भाई या जूनियर समझकर सुझाव देते थे। प्रतियोगियों को भी अपने शिक्षकों व सीनियरों पर पूर्ण विश्वास होता था। क्लास में कम विद्यार्थी होते थे, शिक्षकों के पास भी समय होता था तथा उस समय शिक्षक भी विद्यार्थियों से खूब मेहनत कराने का प्रयास करते थे।
- उस समय ऐसे शिक्षक बहुत कम होते थे, जो वर्तमान शिक्षकों की तरह कक्षा में निम्न स्तर का हास्य व्यंग करके छात्रों का बहुमूल्य समय बर्बाद करते थे। उस समय के शिक्षक निम्न स्तर के हास्य व्यंग करने को अपनी गरिमा के अनुकूल नहीं मानते थे। छात्रों और शिक्षकों का व्यवहार गुरु-शिष्य परंपरा का पूरी तरह से पालन करता था। शिक्षक कक्षा में तनाव को कम करने के लिए विषय से संबंधित ही किसी रोचक जानकारी को साझा करता था, ना कि फालतू के विषयों पर चर्चा करके।
- वर्तमान में इस क्षेत्र में स्तरहीन शिक्षकों के आगमन ने क्लास का स्तर गिराया है। अब सामान्य तौर पर शिक्षक कथा-कहानी या व्यर्थ मुद्दों से संबंधित बातों में समय बर्बाद करने की कोशिश सिर्फ दो ही परिस्थितियों में करते हैं या तो उनके दिमाग में आगे पढ़ाने का कंटेंट ना हो या वे पूरी तैयारी के साथ ना आए हों।
- किसी शिक्षक को तीन घंटे की क्लास लेने के लिए कम से कम 100 पृष्ठों से अधिक की सामग्री की जरूरत पड़ती है। साथ ही शिक्षक को 3 घंटे का एक UPSC के स्तर की क्लास लेने के लिए खुद भी 3-4 घंटे पढ़ना होगा और हम सभी जानते हैं कि इतना समय तो अब किसी शिक्षक के पास है ही नहीं, तो फिर वह आपकी कमियों और अच्छाइयों पर कितना ध्यान दे पाएगा।
- उपरोक्त बातों से समस्या तो स्पष्ट हो गई कि शिक्षक तो योग्य हैं, परन्तु उनकी वर्तमान शिक्षण शैली अयोग्य है। अतः अभ्यर्थी को अपनी तैयारी की रणनीति बनाते समय उपलब्ध विकल्पों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करते हुए अपनी क्षमताओं के अनुसार उचित विकल्प का चयन करना चाहिए।
गुरु या मेंटर का चयन
हमें सबसे पहले गुगल गुरु, साक्षात्कार, यू-ट्यूब तथा सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पढ़ने की रणनीति बनाने का त्याग करना होगा। हमारा मानना है कि जो भी टॉपर यू-ट्यूब या न्यूज चैनल या संस्थान में जाकर अपना अनुभव शेयर करता है वह ज्यादातर अपनी तैयारी की रणनीति से इतर अपने अनुभव बताता है और सबसे बड़ी बात यह कि ये टॉपर ज्यादातर अंग्रेजी माध्यम के होते हैं। वास्तव में अधिकांश सफल अभ्यर्थी तो यह भी कहने की स्थिति में नहीं होते कि रिजल्ट से पहले वे आश्वस्त थे सफलता मिलेगी ही।
- जरा सोचें हम सभी अलग-अलग परिवेश, संस्कार, संस्कृति, शैक्षणिक पृष्ठभूमि, विश्वविद्यालयों आदि से आते है, हमने अलग-अलग विषय पढ़े होते हैं, ऐसे में हमारी तैयारी एक किसी व्यक्ति की सलाह या मार्गदर्शन के आधार पर कैसे हो सकती है?
- आज भी गुरु के रूप में सबसे अच्छा विकल्प आपके शिक्षक तथा चयनित विद्यार्थी होते हैं। ऐसे छात्र भी आपके मेंटर हो सकते हैं जिन्हें परीक्षा का अच्छा अनुभव हो तथा जिन्होंने अच्छे अंकों के साथ मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की हो। ऐसे मेंटर आपकी क्षमताओं का आकलन करके रणनीति तैयार करने में आपकी मदद कर सकते हैं। ध्यान रहे कि ये शिक्षक या चयनित विद्यार्थी अपनी कमियों में सुधार के फलस्वरूप ही सफल हुए है अतः वे अगर ईमानदारीपूर्वक आपका मार्गदर्शन करें तो आपको सफलता दिलवा सकते हैं।
- आप जिस भी व्यक्ति, शिक्षक या अभ्यर्थी को अपना गुरु बनाएं, उस पर पूरा विश्वास करें, उनके मार्गदर्शन में आपने जो भी रणनीति बनायी हो उस पर पूरी तरह से अमल करें।
तैयारी की विधिवत रणनीति
सबसे पहले आप अंकों को ध्यान में रखकर योजनाबद्ध रूप में विचार करें कि कैसे आप 950-1050 अंक तक प्राप्त कर सकते हैं। आपको यह निर्धारित करना होगा कि किस विषय की तैयारी कब करें, कैसे करें; क्या पढ़ें, क्या न पढ़ें।
- सामान्यतः हिदी माध्यम का विद्यार्थी हर जगह शॉर्ट कट ढूंढताहै। वह सफलता के शॉर्टकट के चक्कर में अपना समय बर्बाद कर लेता है। उसकी कोशिश हमेशा वैसी सामग्री ढूंढने में होती है जिसमें उसे ज्यादा पढ़ना ना पड़े। इसलिए वह फालतू की अध्ययन सामग्री, यू-ट्यूबर के वीडियो आदि में अपना ज्यादा समय बर्बाद करता है। मानक पुस्तकों का अध्ययन करने की बजाय वह गाइड जैसी पुस्तकों या कोचिंग के स्टडी मैटेरियल से ही परीक्षा में टॉप करने की अपेक्षा रखता है। टॉपर बनने के लिए विधिवत रणनीति के साथ समग्र अध्ययन की जरूरत होगी, जिसके लिए किसी एक कोचिंग, शिक्षक या किसी एक पुस्तक पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।
- हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों की एक सामान्य सोच यह होती है कि पहले प्रीलिम्स पास कर लें फिर मेंस देंगे या सिविल नहीं भी होगा तो क्या हुआ, पीसीएस कर लेंगे या कोई और नौकरी तो मिल ही जाएगी। यह वैकल्पिक सोच ही उसे संघर्ष करने से रोकती है। अगर आपने संकल्प ले लिया है कि हमें सिविल सेवा में जाना है तो तैयारी के शुरुआती दिनों में दूसरे विकल्प के बारे में सोचना घातक है।
- वर्तमान दौर में सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने के लिए प्रत्येक विषय को मुख्य परीक्षा के दृष्टिकोण से पढ़ने की जरूरत है, ना कि प्रीलिम्स के दृष्टिकोण से।
- मुख्य परीक्षा की तैयारी करते समय पाठ्यक्रम के उन प्रश्न-पत्रों को सबसे पहले पढ़ें, जिनमें अपेक्षाकृत आसानी से बेहतर अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। आप निम्नलिखित तरीके से प्राथमिकता के आधार पर अपनी तैयारी की रणनीति बना सकते हैं-
क्र. |
प्रश्न-पत्रों की प्राथमिकता |
लक्षित अंक |
1. |
वैकल्पिक विषय |
310 |
2. |
निबंध |
120 |
3. |
एथिक्स (पेपर-4) |
110 |
4. |
साक्षात्कार |
170 |
5. |
पेपर-1 |
100 |
6. |
पेपर-2 |
80 |
7. |
पेपर-3 |
80 |
कुल |
970 |
- उपर्युक्त से स्पष्ट है कि वैकल्पिक विषय को सबसे पहले पढ़ें, तत्पश्चात प्राथमिकता के आधार पर क्रमशः निबंध, एथिक्स, साक्षात्कार तथा जीएस पेपर-1, 2, 3 की तैयारी करें। वैकल्पिक विषय, निबंध, एथिक्स एवं साक्षात्कार की तैयारी के लिए आवश्यक रणनीति की चर्चा आगे की गई है तथा जीएस पेपर-1, 2, 3 की तैयारी की रणनीति पर सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल के अगले अंक (जनवरी 2022) में चर्चा की जाएगी।
वैकल्पिक विषय की तैयारी की रणनीति
- आज भी आपका वैकल्पिक विषय आपकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। मुख्य परीक्षा पास करने के लिए वैकल्पिक विषय में 300-330 अंक का टार्गेट करना होगा, जो कि ईमानदारीपूर्वक किये गए प्रयास से प्राप्त किया जा सकता है। हिन्दी माध्यम में बहुत से ऐसे शिक्षक हैं जिनके मार्गदर्शन से आप मानविकी विषयों में 300-330 अंक तक प्राप्त कर सकते हैं।
- सर्वप्रथम तैयारी के शुरुआती 6 माह अपने वैकल्पिक विषय पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करें। इस चरण में मानक पुस्तकों को पढ़ना, कोचिंग करना तथा व्यक्तिगत नोट्स बनाना महत्वपूर्ण है।
- इसके पश्चात विगत 15 वर्षों में पूछे गए प्रश्नों को पाठ्यक्रम के अनुसार वर्गीकृत करके उनका उत्तर लिखना शुरू करें। क्रमशः पुराने से नये वर्ष की तरफ बढ़ते हुए उत्तर लेखन अभ्यास करें तथा अपने लिखे गए उत्तरों की तुलना पुस्तकों की हल सामग्री से करें। इस तुलना के आधार पर अपने उत्तर लेखन में सुधार कर सकते हैं। क्रॉनिकल बुक्स द्वारा विभिन्न वैकल्पिक विषयों के लिए प्रश्नोत्तर रूप में प्रकाशित “15 वर्ष- अध्यायवार हल प्रश्न-पत्र” पुस्तक इस सन्दर्भ में आपके लिए उपयोगी रहेगी।
- आप शिक्षक या मेंटर से उन्हीं प्रश्नों का मूल्यांकन करवाएं जो पिछले 5 वर्षों के हों। इसके पहले के वर्षों के प्रश्नों के उत्तर लेखन का मूल्यांकन या तो आप स्वयं करें या अपने किसी समकक्ष अभ्यर्थी से इनका मूल्यांकन करवाएं तथा अपने समकक्ष अभ्यर्थी के उत्तर लेखन का मूल्यांकन आप करें। इस प्रक्रिया से आप एक-दूसरे की कमी और अच्छाई को जान पाएंगे। एक-दूसरे की कमियों का आकलन कर आपसी विमर्श से अपने उत्तर लेखन में सुधार लाया जा सकता है।
- ध्यान रखें कि परीक्षा हॉल में आपको 10 अंक वाले प्रश्न को 7 मिनट में तथा 15 अंक वाले प्रश्न को 11 मिनट में लिखना होता है। इतने कम समय में उत्तर लिखने का अभ्यास अगर आप पहले से नहीं करेंगे तो परीक्षा हॉल में आप समय से अपना पेपर पूरा नहीं लिख पाएंगे। हिंदी माध्यम के ज्यादातर छात्रों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि परीक्षा हॉल में वे समय प्रबंधन नहीं कर पाते, ऐसे में या तो उनके कुछ प्रश्न छूट जाते हैं या वे आखिर में लिखे गए प्रश्नों को बेहद कम समय दे पाते हैं। अभ्यर्थी द्वारा समय प्रबंधन ना कर पाने के कारण एग्जामिनर को उनके उत्तरों में वह स्तर नहीं मिलता, जो उसके पूर्व के प्रश्नों के उत्तर में होता है, जिससे अभ्यर्थी को उस प्रश्न-पत्र में अच्छे अंक प्राप्त नहीं हो पाते।
- जैसा कि हमने पहले कहा वर्तमान में हिंदी माध्यम के बहुत से ऐसे शिक्षक हैं जो अगर आपका उचित मार्गदर्शन करें तो वैकल्पिक विषय में 300+ अंक दिला सकते हैं। हमारा सुझाव है कि ऐसे शिक्षकों से आपको बचना चाहिए जो आपको समय ना दें, चाहे वे कितने भी बड़े शिक्षक क्यों न हों। वास्तव में समस्या सामग्री की नहीं बल्कि लेखन शैली की है। लेखन शैली में भी शब्दों का चयन तथा कम से कम शब्दों में अपने उत्तर का प्रस्तुतीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। निर्धारित समय सीमा और शब्द सीमा के अंदर सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को परीक्षा हॉल में प्रस्तुत करना भी काफी चुनौतीपूर्ण है। अतः बड़े नाम के पीछे ना भागकर वैसे लोगों के साथ जुड़ें, जो आपकी कमियों को उजागर कर आपको तराश सकें।
- वैकल्पिक विषय के द्वितीय प्रश्न-पत्र पर अलग से ध्यान देने की जरूरत है। प्रायः यह सामान्य प्रक्रिया है कि वैकल्पिक विषयों के शिक्षक पेपर-2 पर कम ध्यान देते हैं या आपको करेंट अफेयर्स एवं विभिन्न पत्रिकाओं व अखबारों में प्रकाशित आलेखों से अपने नोट्स को अपडेट कर लेने की सलाह देते हैं। यहां ध्यान देने की जरूरत है कि वैकल्पिक विषय का दूसरा पेपर, पहले पेपर से अधिक अंकदायी है। अगर उसका अध्ययन ठीक से किया जाए, तो इसमें आप बढ़त ले सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वैकल्पिक विषय का दूसरा पेपर व्यावहारिक (applied) स्वरूप का है तथा इसके प्रश्नों का उत्तर लिखते समय इनपुट के रूप में व्यावहारिक या समसामयिक सामग्री शामिल की जा सकती है, जिससे आपके उत्तर औरों से अलग व बेहतर हो सकते हैं।
- इसलिए अपने शिक्षक या मेंटर से पेपर-2 से संबंधित तैयारी की विशेष रणनीति पर चर्चा करें। ध्यान रहे कि प्रत्येक शिक्षक पेपर-2 पढ़ाने से बचता है, क्योंकि यह प्रश्न-पत्र समय बहुत लेता है और शिक्षक को इसे पढ़ाने के लिए खुद भी काफी समय देना पड़ता है। पेपर-2 को जब तक अंतरविषयी तथा बहुविषयी दृष्टिकोण (Interdisciplinary-Multidisciplinary approach) से नहीं पढ़ा जाएगा तब तक इसमें अच्छे अंक मिलना संभव नहीं है। अतः हमारा सुझाव है कि सर्वप्रथम वैकल्पिक विषय पर ध्यान दें और उसकी तैयारी में कोई कसर ना छोड़ें।
आपकी सफ़लता में निबंध महत्वपूर्ण
- हिंदी माध्यम की सफलता में दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न-पत्र निबंध विषय का है। उत्कृष्ट निबंध लेखन कौशल कभी किसी एक पुस्तक को पढ़कर या किसी एक शिक्षक से क्लास लेकर अथवा परीक्षा के आखिरी दिनों में पढ़कर विकसित नहीं किया जा सकता। निबंध लेखन कौशल विकसित करने में शिक्षक की भूमिका सिर्फ इतनी ही है कि वह आपको इसके लिए मार्गदर्शन दे सकता है या निबंध के लिए महत्वपूर्ण विषय बता सकता है। शिक्षक द्वारा मार्गदर्शन से आप सिर्फ यह जान पाते हैं कि तैयारी के लिए क्या करना है; तैयारी तो आपको ही करनी होगी। यानी अगर तैरना है तो पानी में आपको स्वयं ही उतरना होगा।
- निबंध लेखन में शिक्षक की भूमिका वैसी ही है, जैसे आप घोड़े को पानी तक तो ले जा सकते हैं, परन्तु उसे पीने के लिए बाध्य नहीं कर सकते; पानी तो घोड़ा अपनी मर्जी से ही पियेगा। उसी प्रकार निबंध लेखन के लिए आपको अपने आप को स्वयं तैयार करना होगा; अगर आप अपने निबंध लेखन में पुस्तकों द्वारा अर्जित ज्ञान ही लिखेंगे तो आपकों इसमें औसत अंक ही मिलेंगे।
- निबंध में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आपको वे सभी प्रयास करने होंगे जो एक व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक हैं। आपको समाज के प्रति अपने नजरिये, जीवन पद्धति तथा धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यताओं के प्रति अपने दृष्टिकोण में तटस्थता लानी होगी, साथ ही विकास के साथ-साथ सांविधानिक पहलुओं की स्वतंत्र समझ भी विकसित करनी होगी।
- एक अच्छा निबंध वही व्यक्ति लिख सकता है, जो विषयों को समझने और समझाने में सक्षम हो। इसकी सबसे पहली जरूरत है कि आप सभी विषयों की अधिक से अधिक सामग्रियों का अध्ययन करें और अपने सहपाठियों व शिक्षक से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करें। इस परिचर्चा से आप अपने अंदर संवाद करने की क्षमता विकसित कर सकेंगे। निबंध लेखन के लिए इनपुट सिर्फ पुस्तकों से ही प्राप्त नहीं किये जा सकते बल्कि विषयों को सुनकर, देखकर या समझकर भी ये इनपुट प्राप्त किये जा सकते हैं। इसलिए तो निबंध, निरंतर तैयारी का विषय है।
- परीक्षा के आखिरी दिनों में निबंध का सिर्फ अभ्यास ही किया जा सकता है। इसलिए अगर सही शिक्षक या मेंटर का मार्गदर्शन मिल जाए तो टेस्ट सीरीज जरूर कर लें, हालांकि टेस्ट सीरीज का लाभ तभी मिलेगा, जब वह शिक्षक स्वयं आपकी कॉपी चेक करे। आजकल विभिन्न संस्थानों द्वारा जो टेस्ट सीरीज संचालित की जाती है, उसमें ज्यादातर कोई विद्यार्थी ही कॉपी जांच रहा होता है। वैसे टेस्ट सीरीज से भी ज्यादा अच्छा यह होगा कि आप महत्वपूर्ण मुद्दों या प्रश्नों को कहीं से भी प्राप्त करके लिखें तथा अपने सहपाठियों के साथ समूह में चर्चा करें।
- मानविकी पृष्ठभूमि वाला हिंदी माध्यम का कोई भी छात्र अच्छा निबंध लिख सकता है, क्योंकि मानविकी विषयों को पढ़ने के कारण उसका अपनी बातों को अभिव्यक्त करने का कौशल अन्य तकनीकी पृष्ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर होता है। हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की एक चुनौती यह है कि उन्हें अंग्रेजी माध्यम की तुलना में किसी भी तथ्य या महत्वपूर्ण बिंदु को अभिव्यक्त करने के लिए अधिक शब्द लिखने पड़ते हैं, परन्तु ‘शब्द संख्या की अधिकता’ की आपकी यह चुनौती निबंध लेखन में आपको बढ़त दिला सकती है। अतः निबंध में कैसे 120-130 अंक लाए जाएं इसका प्रयास कर आप दूसरी बाधा पार कर सकते हैं।
- अच्छा निबंध लेखन आपके साक्षात्कार में बहुत सहायक होता है, क्योंकि स्तरीय निबंध लेखन से विषयों की समझ के मामले में आप बहुत परिपक्व हो चुके होते हैं। सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल के आगे के अंकों में उत्कृष्ट निबंध लेखन से संबंधित विशेषज्ञ सलाह प्रकाशित की जाएगी।
मुख्य परीक्षा की सफ़लता में तीसरी महत्वपूर्ण भूमिका पेपर-4 की है
मुख्य परीक्षा की सफलता में तीसरा किरदार जीएस पेपर-4 का है। सामान्यतः शिक्षक तथा विद्यार्थी इस प्रश्न-पत्र को बहुत गंभीरता से नहीं लेते। पाठ्यक्रम या पिछले वर्षों में पूछे गए प्रश्नों को देखने पर यह विषय काफी सहज लगता है, परन्तु व्यावहारिक रूप में यह इतना सहज है नहीं।
- नीतिशास्त्र का प्रश्न-पत्र ना तो मानविकी विषयों की तरह तथ्यात्मक है और ना ही तकनीकी विषयों की तरह सिद्धांतों पर आधारित। यह विषय पूरी तरह से व्यावहारिक व अनुभवजन्य स्वरूप का है। यह समाज, शासन-प्रशासन, मानवीय मूल्य, संस्कृति, जीवन दर्शन, कार्य शैली आदि से व्युत्पन्न विषय है, जो मानव व उसके द्वारा बनाई गई व्यवस्था में आई विकृति तथा अप्राकृतिक व अव्यावहारिक समस्याओं से उत्पन्न हुई परिस्थितियों में सुधार की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसलिए इसे न ही कोई शिक्षक पढ़ा सकता है और न ही कोई पुस्तक।
- यह विषय भी निबंध और साक्षात्कार की तरह ज्ञानार्जन की निरंतर प्रक्रिया के माध्यम से ही तैयार किया जा सकता है, जिसमें आपके द्वारा अर्जित सम्पूर्ण ज्ञान का इस्तेमाल कर आप प्रश्नों का हल खोज पाएंगे। अगर आप ऐसा कर पाते हैं, तब आपको यह विषय स्कोरिंग लगेगा तथा इसमें अच्छे प्रयास से आप बेहतर अंक प्राप्त कर सकेंगे।
- यह विषय आपकी समझ की परीक्षा लेता है ना कि सिर्फ ज्ञान की। यह विषय, सामान्य अध्ययन के अन्य तीन प्रश्न-पत्रों से अर्जित ज्ञान के आधार पर आपकी जो समझ विकसित हुई है, उसी की जांच करता है। इसीलिए इस विषय के संबंध में विभिन्न लोगों की अलग-अलग राय है। क्योंकि इस विषय को जिसने जैसा समझा है तथा जो जिस विषय का विशेषज्ञ है, उसी हिसाब से इस विषय की व्याख्या करता है।
- सामान्यतः इतिहास और भूगोल को छोड़कर प्रायः सभी विषयों के शिक्षक इस विषय को पढ़ाते हैं और इसे अपने विषय के सबसे करीब बताते हैं। यही बात इस विषय को अलग बनाती है। इसलिए हम इस विषय को ज्ञान की परीक्षा नहीं समझ की परीक्षा का विषय बोलते हैं। तो अब प्रश्न यह है कि इसके लिए आवश्यक समझ कैसे विकसित की जाए।
- सर्वप्रथम इस विषय के लिए कोई एक ऐसी पुस्तक पढ़ें, जिसमें पाठ्यक्रम के अनुरूप सामग्री दी गई हो। इससे आप इस विषय से संबंधित शब्दावलियों (Terminologies) को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे तथा उसका प्रयोग सामान्य जन-जीवन, मानवीय, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखकर प्रशासन के दृष्टिकोण से समस्याओं को सुलझाने में कर पाएंगे। सभी दृष्टिकोणों को ध्यान में रखकर प्रश्नों का हल सोचें, विचार करें, अपने सामान्य जीवन में अमल करें तो इस विषय को आसानी से तैयार किया जा सकता है।
- इसलिए सुझाव यह है कि इस विषय की तैयारी के लिए कोचिंग से ज्यादा जरूरत पुस्तकों के अध्ययन और लेखन अभ्यास की है। LEXICON जैसी पुस्तक ने यह काम काफी आसान किया है, जिसने आपको पेपर-4 से संबंधित सभी टर्मिनोलॉजी से पूरी तरह से परिचित कराया है। सफलता सुनिश्चित करने के लिए पेपर-4 में आपको 110 अंक का टार्गेट करना होगा।
अंततः
- अतः हमारा सुझाव यह है कि वर्तमान समय में विद्यार्थियों को वैकल्पिक विषय का चुनाव सोच समझकर करना चाहिए तथा वैकल्पिक विषय, निबंध और एथिक्स पर सबसे ज्यादा जोर देते हुए 550 अंक सुरक्षित करने की रणनीति तैयार करनी चाहिए। अगर इन तीन पर आपकी पकड़ अच्छी हो गई तो साक्षात्कार में आप कम से कम 125 अंक जरूर ले आएंगे तथा इस प्रकार आप वैकल्पिक विषय, निबंध, एथिक्स व साक्षात्कार को मिलाकर 675 अंक तक ला सकेंगे।
- अगर आप जीएस पेपर-I, II और III में सामान्य अंक (80-100) प्राप्त करने की रणनीति के तहत सोचें तो भी आप 975-1000 अंक तक पहुंचते हैं। पेपर-I, II एवं III को अंडर स्कोर करने का हमारा कारण हिंदी माध्यम के छात्रों का इन पेपरों में कम अंक प्राप्त होना है। जिसका मूल कारण निर्धारित शब्द-सीमा व समय-सीमा में सटीक उत्तर नहीं लिख पाना है। अतः आप उपरोक्त बातों को अपनी रणनीति में शामिल कर सकते हैं। आगामी अंक में जीएस पेपर-I, II एवं III की तैयारी से संबंधित रणनीति की चर्चा की जाएगी।