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- ओंकार नाथ
विशेषज्ञ सलाह
सामान्य अध्ययन का तीसरा प्रश्न-पत्र सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण और विविधता लिए हुए है। इस अध्याय में आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन जैसे शीर्षक शामिल हैं। इनमें आर्थिक विकास के अतिरिक्त लगभग सभी शीर्षक एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से भले ही जीवन आसान हो रहा है, आर्थिक विकास के नये मानक बन रहे हैं, किंतु इस प्रौद्योगिकी की कीमत अब मानव समाज को चुकानी पड़ रही है। पर्यावरण बनाम आर्थिक विकास के नजरिये से देखें तो लगता है कि आज पर्यावरण, पिछले कई दशकों में हुए अविवेकपूर्ण आर्थिक विकास की कीमत चुका रहा है। जलवायवीय संकट एवं आपदाएं हमेशा कोई न कोई विपत्ति सामने लाती रहती हैं। चाहे वह उत्तराखंड में भूस्खलन हो या बंगाल की खाड़ी में उठने वाला समुद्री तूफान हो या बढ़ता हुआ धरती का तापमान या फिर जैव विविधता के संकट की स्थिति_ यह सब हमारे आम जीवन से जुड़े हुए हैं।
सामान्य अध्ययन का यह तीसरा पेपर सबसे ज्यादा कठिनाई लिए हुए प्रकट होता है क्योंकि आमतौर पर इतिहास और राजव्यवस्था के विपरीत यह पेपर जीवन की वास्तविक घटनाओं के सबसे ज्यादा करीब है और इस विषय पर अध्ययन सामग्री का एक समग्र रूप से उपलब्ध न होना भी अभ्यर्थियों के समक्ष निरंतर समस्याएं पैदा करता रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि एक ही विषय के तार कई विषयों से जुड़े रहते हैं। उदाहरण के लिए विकास के नाम पर पर्वतीय क्षेत्रें में नई-नई तकनीकों को अपनाकर कई मानदंड गढ़े गए, जिससे पर्यावरण और जैव विविधता का नुकसान तो हुआ ही, कई आपदाएं भी सामने आईं और इन आपदाओं से सुरक्षा का एक नया संकट हमारे सामने खड़ा हो गया।
संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में जो प्रश्न पूछे जा रहे हैं, उनमें यह निर्धारण करना बहुत मुश्किल हो रहा है कि प्रश्न किस अध्याय से संबंधित हैं, एक ही प्रश्न का जुड़ाव प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, पर्यावरणीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन से जुड़ा रहता है, ऐसे में उत्तर को लिखना बहुत मुश्किल हो जाता है। फिर भी कुछ वर्षों से संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जिस प्रकार के प्रश्न पूछे जा रहे हैं उस आधार पर इस विषय से जुड़े हुए विभिन्न अध्यायों को पहचाना जा सकता है। इस पेपर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जिन परिस्थितियों से भारत प्रभावित होता है अथवा हो रहा है, सामान्यतः वही विषय प्रश्न बनकर अभ्यर्थियों के सामने आ जाते हैं और अभ्यर्थी से उम्मीद की जाती है कि वह अपने व्यावहारिक और मौलिक ज्ञान का उपयोग करते हुए तथा निश्चित शब्द सीमा का पालन करते हुए उत्तर लिखे। अभ्यर्थियों के बीच सबसे बड़ा संकट यही है कि वे इतिहास और संविधान के अनुच्छेद के दायरे से अपने आप को कैसे निकालें और देश जिन परिस्थितियों का सामना कर रहा है उसको कैसे देखें, सोचें, समझें और अपने उत्तर में लिखें।
इसी परिपेक्ष में सामान्य अध्ययन के इस तीसरे भाग को सरलीकृत करके फ्रलो-चार्ट के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है। इसके साथ-साथ इस विषय से कैसे प्रश्न बन सकते हैं और किस प्रकार के प्रश्न अभी बन रहे हैं उनको भी टेबल के माध्यम से समझाया गया है।
पाठ्यक्रम | बनने वाले प्रश्न |
विज्ञान व प्रौद्योगिकी विकास, अनुप्रयोग तथा उपलब्धियां |
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दैनिक जीवन व राष्ट्रीय सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका |
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जैव प्रौद्योगिकी |
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सूचना प्रौद्योगिकी |
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बौद्धिक संपदा अधिकार व डिजिटल मुद्दे |
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कम्प्यूटर व इलेक्ट्रॉनिक्स |
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नवीनतम प्रौद्योगिकी उनके अनुप्रयोग व उभरती स्थिति व चुनौतियां |
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पर्यावरण सुरक्षा व पारिस्थितिक तंत्र |
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वैश्विक तापन/जलवायु परिवर्तन |
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ऊर्जा |
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सुरक्षा व आपदा प्रबंधन |
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उपर्युक्त फ्लो-चार्ट और टेबल के माध्यम से सामान्य अध्ययन के तीसरे पेपर से बनने वाले अधिकांश प्रश्नों को समझा जा सकता है। एक परीक्षार्थी इन विषयों की आम समझ रखे, जैसी परिस्थितियों का सामना भारत कर रहा है, उन्हें देखे, समझे और एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर आवश्यक सुझाव दे, इसी की अपेक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा अपनी परीक्षा में की जाती है। इसमें किताबी ज्ञान की महत्ता बहुत कम होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें टू द पॉइंट मैटर का मिलना बहुत मुश्किल होता है। इस सन्दर्भ में सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल विगत दो दशकों से निरंतर अपनी गुणवत्ता को बनाए हुए परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को एकदम अपडेट मैटर उपलब्ध कराने के अपने अभियान में लगी हुई है।