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फसल अवशेष/पराली
फसल अवशेष/पराली जलाने से वातावरण में कौन-कौन सी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है?
- मीथेन (CH4),
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- वाष्पशील कार्बनिक यौगिक
- कार्सिनोजेनिक पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन
A |
1,2,3
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B |
1,2,3,4
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C |
1,2 और 4
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D |
केवल 1 और 2
|
Your Ans is
Right ans is B
Explanation :
- अनुमानित तौर पर फसल अवशेष जैसे सूखी लकड़ी, पत्तियां, घास-फूस जलाने से वातावरण में 40 प्रतिशत CO2, 32 प्रतिशत Co, कणिकीय पदार्थ 2.5 तथा 50 प्रतिशत हाइड्रोकार्बन पैदा होता है।
- खेतों में फसल अवशेष जलाकर नष्ट करने की प्रक्रिया से वातावरण दूषित होता है। खुले में पराली जलाने से वातावरण में बड़ी मात्रा में ज़हरीले प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं जिनमें मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) और कार्सिनोजेनिक पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसें होती हैं। जमीन का कटाव बढ़ता है एवं सांस की बीमारियां बढ़ती हैं। फसल अवशेषों को जमीन में सीधे ही समावेश करने की प्रक्रिया सरल है, परंतु इसमें कुछ कठिनाइयां भी हैं। जैसे दो फसलों के बीच का अंतर कम होना। इसमें अतिरिक्त कम सिंचाई एवं अन्य क्रियाएं भी सम्मिलित होती हैं, जिससे जलती पराली, बढ़ता प्रदूषण लागत बढ़ जाती है।
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