कोणार्क का सूर्य मंदिर
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- कोणार्क का सूर्य मंदिर वास्तुकला की पारंपरिक ओडिशा शैली को दर्शाता है. जिसे व्यापक रूप से कलिंग वास्तुकला के नाम से भी जाना जाता है।
- मंदिर को 1984 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही/गलतहै?
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Explanation :
- उड़ीसा के पुरी में स्थित सूर्य मंदिर तेरहवीं शताब्दी के गंग वंश के तत्कालीन राजा नृसिंहदेव प्रथम (1236-1264 ईसा पूर्व) द्वारा बनवाया गया था।
- इसके निर्माण में तीन प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया गया था.अर्थात् क्लोराइट,लेटराइट और खोंडलाइट पत्थर। मूल मंदिर में मुख्य गर्भगृह है. जिसे बाड़ा देउल या रेखा देउल कहा जाता है. जो अन्य छोटी संरचनाओं से घिरा हुआ है. मुख्य गर्भगृह के सामने एक और छोटा गर्भगृह स्थित है जिसे भद्र देउल या लोगों का सभा भवन कहा जाता है.
- यह वास्तुकला की पारंपरिक उड़ीसा शैली को प्रदर्शित करता है.जिसे व्यापक तौर पर कलिंग वास्तुकला के रूप में भी जाना जाता है.
- मंदिर का निर्माण एक विशाल रथ के रूप में किया गया है. जिसमें लगभग 24 पहिये लगे हुए हैं, जो 3 मीटर ऊँचा है और 7 घोड़ों द्वारा खींचा जा रहा है.जिसके भीतर सूर्य भगवान स्थित हैं.
- प्रवेश द्वार पर दो विशाल शेरों का पहरा है.जो युद्ध में इस्तेमाल हुए हाथी को मारता हुआ दिख रहा है और हाथी के नीचे एक आदमी है। सिंह अभिमान का प्रतिनिधित्व करते हैं व हाथी धन-वैभव का प्रतिनिधित्व करते हैं और दोनों का उपभोग मनुष्य करते हैं.
- यह मंदिर अपने काले रंग के कारण 'ब्लैक पैगोडा' के रूप में भी जाना जाता है. इसका उपयोग प्राचीन नाविकों द्वारा ओडिशा तट पर नौसैनिक लैंडमार्क के रूप में किया जाता है।