अनुसूचित जनजातियों
भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजातियों (ST) के रूप में कुछ जनजातियों के समावेश या बहिष्करण के सम्बंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- राज्य विधानमंडल, अनुच्छेद 342 के खंड 1 के तहत जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट अनुसूचित जनजातियों की सूची में कानून द्वारा समाविष्ट या बहिष्कृत कर सकता है।
- अनुसूचित जनजातियों (ST) को समाविष्ट या बहिष्कृत करने के वे मामले जिनमें राज्य सरकार और भारत के रजिस्ट्रार जनरल की सहमति नहीं हैं, उन्हें जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा खारिज कर दिया जाता है।
नीचे दिए गए कूट से सही कथन का चयन करें:
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Explanation :
अनुच्छेद 342 (1) के अनुसार सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा राज्यपाल / उपराज्यपाल (केन्द्र शासित प्रदेश) के फीडबैक के अनुरूप राष्ट्रपति ने कुछ जनजातियों को अनुसूचित जनजातियों (ST) के रूप में सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा सूचीबद्ध किया है, लेकिन संसद द्वारा अनुच्छेद 342 के खंड 1 के तहत जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट अनुसूचित जनजातियों की सूची में कानून द्वारा समाविष्ट या बहिष्कृत किया जा सकता है। इसलिए, कथन 1 गलत है।
समावेश या बहिष्करण:
- राज्य सरकार द्वारा भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) से अनुरोध किये जाने पर, यदि भारत के रजिस्ट्रार जनरल संतुष्ट होते हैं तो वह राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के पास मांग भेजते हैं और अगर सभी सहमत हो जाते हैं तो उसे कैबिनेट को सौंपकर संसद में संशोधन विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
- यदि भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) राज्य सरकार से सहमत नहीं होते, तो उस संशोधन अनुरोध को फिर से राज्य सरकार को वापस भेज दिया जाता है और केंद्र सरकार संशोधन की मांग को अस्वीकार कर सकती है।
- यदि राज्य सरकार और भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) दोनों ही मांग पर सहमत होते हैं लेकिन, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) इसका विरोध करती है तो, जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा आम तौर पर इसे खारिज कर दिया जाता है।
प्रश्न का उद्देश्य:
हाल ही में, मंत्रिमंडल ने किसी भी नागा जनजाति को उन जनजातियों के विशिष्ट नामों से बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है जो अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता के लिए अर्हता प्राप्त करेंगे। अतः इसकी महत्ता को देखते हुए हमने छात्रों का ध्यान इसके विस्तृत स्वरुप की ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया है।
स्रोत: द हिंदू