राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत मंगोलियाई कंजुर का प्रकाशन
- 10 Jul 2020
जुलाई 2020 में संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (National Mission for Manuscripts) के तहत मंगोलियाई कंजुर के 108 अंकों के पुनर्मुद्रण करने परियोजना आरंभ की है। मार्च, 2022 तक ये सभी अंक प्रकाशित किए जाएंगे।
उद्देश्य: पांडुलिपियों में प्रतिष्ठापित (enshrined) ज्ञान को शोधकर्ताओं, विद्वानों एवं बड़े पैमाने पर आम लोगों तक प्रसारित करने हेतु दुर्लभ एवं अप्रकाशित पांडुलिपियों को प्रकाशित करना।
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन: भारत सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा फरवरी 2003 में पांडुलिपियों में संरक्षित ज्ञान के दस्तावेजीकरण, संरक्षण एवं प्रसार करने के अधिदेश (mandate) के साथ लांच किया गया था।
मंगोलियाई कंजुर: 108 अंकों का बौद्ध धर्म वैधानिक ग्रंथ ‘मंगोलियाई कंजुर’ मंगोलिया में सर्वाधिक महत्वपूर्ण धर्म ग्रंथ माना जाता है। मंगोलियाई भाषा में ‘कंजुर’ का अर्थ होता है ‘संक्षिप्त आदेश’ जो विशेष रूप से भगवान बुद्ध के शब्द होते हैं।
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मंगोलियाई बौद्धों द्वारा मंदिरों में कंजुर की पूजा की जाती है तथा धार्मिक रिवाज के रूप में प्रतिदिन कंजुर की पंक्तियों का पाठ किया जाता है।
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मंगोलियाई कंजुर को तिब्बती भाषा से अनुवादित किया गया है। कंजुर की भाषा ‘शास्त्रीय मंगोलियाई’ (Classical Mongolian) है। मंगोलियाई कंजुर मंगोलिया को एक सांस्कृतिक पहचान उपलब्ध कराने का स्रोत है।
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