परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का रात्रि परीक्षण
- 30 Dec 2022
15 दिसंबर, 2022 को भारत द्वारा सबसे लंबी दूरी की परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 (Nuclear-capable ballistic missile Agni-5) का रात्रि परीक्षण (Night Trials) सफलतापूर्वक किया गया।
- परीक्षण स्थल: इस मिसाइल को एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, ओडिशा (APJ Abdul Kalam Island, Odisha) से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
अग्नि-5 मिसाइल
- उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल: अग्नि-5 एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Programme- IGMDP) के तहत विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल (Advanced ballistic missile) है।
- कार्यप्रणाली: यह दागो और भूल जाओ सिद्धांत (Fire and forgets theory) पर कार्य करती है, जिसे इंटरसेप्टर मिसाइल (Interceptor missile) के बिना रोका नहीं जा सकता है।
- क्षमता एवं महत्त्व: तीन चरणीय तथा ठोस ईंधन इंजन पर आधारित (Based on three stage and solid fuel engine) यह मिसाइल 5,000 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
- इसके माध्यम से अत्यंत उच्च स्तर की सटीकता के साथ चीन के अधिकांश हिस्सों तक पहुंचा जा सकता है। यही कारण है कि इस मिसाइल को भारत की आत्मरक्षा प्रणाली (Self defense systems of India) के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता है।
- परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम: अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों को परमाणु हथियारों के परीक्षण हेतु महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मिसाइल लगभग 1.5 टन परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है।
अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें
इस श्रृंखला के तहत निर्मित मिसाइलें निम्नलिखित हैं:
- अग्नि I: 700-800 किमी. की रेंज।
- अग्नि II: 2000 किमी. से अधिक की रेंज।
- अग्नि III: 2,500 किमी. से अधिक की रेंज।
- अग्नि IV: रेंज 3,500 किमी से अधिक है और इसे रोड-मोबाइल लॉन्चर (Road-Mobile Launcher) से फायर किया जा सकता है।
- अग्नि-V: यह अग्नि श्रृंखला की सबसे लंबी, एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Intercontinental ballistic missile-ICBM) है, जिसकी रेंज 5,000 किमी से अधिक है।
- अग्नि-पी (प्राइम): यह एक कैनिस्टराइज्ड मिसाइल (Canisterised Missile) है, जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किमी. के बीच है। यह अग्नि-I मिसाइल का स्थान लेगी।
- विश्व के केवल कुछ ही देशों के पास अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, इनमें भारत के साथ-साथ अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं।
एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP)
- आरंभ: IGMDP को प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा वर्ष 1983 में आरंभ किया गया था।
- उद्देश्य: मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना।
- लाभ:रणनीतिक रूप से स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों को आकार देने के लिये इस कार्यक्रम के तहत देश के वैज्ञानिक समुदाय, शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, उद्योगों और तीनों रक्षा सेवाओं को एक साथ लाया गया।
- शामिल मिसाइलें: रक्षा बलों की विभिन्न प्रकार की मिसाइलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम के तहत 5 मिसाइल प्रणालियों को विकसित करने की मंज़ूरी दी गई।
- पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
- अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
- त्रिशूल: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।
- नाग: तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल।
- आकाश: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।