बिहार की 'साइक्लोपियन वॉल' के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल टैग की मांग
- 23 Apr 2022
बिहार सरकार ने अप्रैल 2022 में 'साइक्लोपियन वॉल' (Cyclopean wall) को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को एक नया प्रस्ताव भेजा है।
(Image Source: https://tourism.bihar.gov.in/)
महत्वपूर्ण तथ्य: 40 किमी लंबी 'साइक्लोपियन वॉल', राजगीर में 2,500 साल से अधिक पुरानी संरचना है।
- प्राचीन शहर 'राजगीर' को बाहरी दुश्मनों और आक्रमणकारियों से बचाने के लिए इस दीवार का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले किया गया था।
- माना जाता है कि राजगीर की साइक्लोपियन वॉल मौर्य पूर्व युग में एक साथ लगे हुए बड़े पैमाने पर अवांछित पत्थरों से निर्मित की गई थी।
- ऐसा माना जाता है कि राजगीर में साइक्लोपियन वॉल 'फ्रंटियर्स ऑफ रोमन एम्पायर' (Frontiers of the Roman Empire) के समान है, जो जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड से होकर गुजरती है, जिसे 1987 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
- बिहार राज्य से दो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं और संभावित सूची में भी कुछ स्थल हैं।
- 'नालंदा विश्वविद्यालय' बिहार में दो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से एक है और इसे 2002 में सूचीबद्ध किया गया था। इसे नालंदा, बिहार में 'नालंदा महाविहार के पुरातत्व स्थल' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- राज्य में एक और प्राचीन स्मारक जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया है, वह है बोधगया का 'महाबोधि मंदिर'।
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