प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक-2020

  • 17 Feb 2020

  • देश भर में विवादित कर मामलों को निपटाने के लिए वित्त मंत्री ने 5 फरवरी 2020 को एक तंत्र प्रदान करने के लिए प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास (from dispute to trust) विधेयक-2020 पेश किया.
  • हालांकिबजट के बाद, उद्योग परामर्श के दौरान प्राप्त सुझावों के आधार परकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने संशोधनों के साथ प्रस्ताव लाने का फैसला किया. यह संसोधन विभिन्न ऋण वसूली न्यायाधिकरणों ( DRTs)में लंबित मुकदमों की सुनवाई करने और इसका दायरा बढानेकी दृष्टि से किया गया. इसके साथ इस योजना में अब खोज और जब्ती के मामलों के क्षेत्र शामिल है. जिसकी सीमा 5 करोड़ रुपये तक है.
  • सबका विश्वास योजना 2019 में अप्रत्यक्ष करों में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए लाई गई. जिसके परिणामस्वरूप 1,89,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया गया.

उद्देश्य

  • प्रत्यक्ष कर संबंधी विवादों को तीव्रता से हल करना.

ज़रूरत

  • वित्त मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में 4,83,000 प्रत्यक्ष कर मामले हैं.जिनमें लगभग 9 लाख करोड़ रुपये की सामूहिक राशि है,जो विभिन्न अपीलीय मंचों यानी आयुक्त (याचना), आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT), उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं. प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में मुकदमेबाजी को कम करना योजना के पीछे का विचार है.


मुख्य विशेषताएं

व्यापक क्षेत्र

  • इसमें आयुक्त (याचना), आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों (ITAT),उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के स्तर पर लंबित कर विवादों की सुनवाई करने के प्रावधान है.

संकल्प तंत्र

  • प्रस्तावित योजना के तहतविवादों को निपटाने के इच्छुक करदाताओं को इस वर्ष 31 मार्च तक विवाद में कर की पूरी राशि का भुगतान करने पर ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट दी जाएगी, जिसके बाद 10 प्रतिशत अतिरिक्त विवादित कर देना होगा। कर देयता के ऊपर और ऊपर भुगतान किया गया.
  • यदि कर विवाद जुर्माना, ब्याज अथवा शुल्क से अधिक हैतो मार्च 2020 के अंत से पहले भुगतान की जाने वाली निपटान राशि देय राशि का 25% है.जिसके आगे उसे 30% तक बढ़ाया जाएगा.

अपीलकर्ता को छुटकारा

  • एक बार विवाद हल हो जाने के बाद, नामित प्राधिकारी उस विवाद के संबंध में ब्याज या जुर्माना नहीं लगा सकता है. इसके अलावा, कोई भी अपीलीय फोरम विवाद का हल होने के बाद उसके संबंध में कोई निर्णय नहीं कर सकता. इस तरह के मामलों में किसी भी कानून के तहत किसी भी कार्यवाही के लिए दोबारा सुनवाई नहीं हो सकती है. इसमें आईटी कानून भी शामिल है. 

विवादों का पुनरुद्धार

  • एक अपीलकर्ता द्वारा दायर की गई घोषणा अवैध हो जाएगी यदि:
  1. इसके विवरण झूठे पाए जाते हैं.
  2. वह आईटी अधिनियम में उल्लिखित शर्तों में से किसी का उल्लंघन करता है.
  3. वह कोई उपाय या दावा चाहता है उस विवाद के संबंध में.नतीजतन, घोषणा के आधार पर वापस ली गई सभी कार्यवाही और दावों को पुनर्जीवित किया गया माना जाएगा. 

विवादों को पर पर्दा नहीं डाला जाना

  • प्रस्तावित तंत्र कुछ विवादों को नहीं ढकेंगे. इनमें निम्न विवाद शामिल हैं:

(i) जहां घोषणा दायर करने से पहले अभियोजन (prosecution) शुरू किया गया है.

(ii) जिसमें ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जिन्हें दोषी ठहराया गया है या कुछ कानूनों (जैसे कि भारतीय दंड संहिता) के तहत अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है अथवा
नागरिक देनदारियों के प्रवर्तन के लिए प्रवर्तन के लिए.

(iii) अघोषित विदेशी आय या संपत्ति शामिल है.

सबका विश्वास (विरासत विवाद समाधान) योजना-2019

  • 2019में शुरू की गई, इस योजना का उद्देश्य पूर्ववर्ती सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम से संबंधित सभी विवादों26 अन्य अप्रत्यक्ष कर अधिनियमों के विवादों (अब वस्तु एवं सेवा कर में सम्मिलित कर दिया गया) को हल करना है. इसी लिए इसे 'विरासत' शब्द सेपरिभाषित किया गया.

अवयव

  • विवाद समाधान घटक: इसका उद्देश्य केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर के पुराने मामलों को समाप्त करना है. जो जीएसटी में शामिल हैं और विभिन्न मंचों पर मुकदमेबाजी में लंबित हैं.
  • क्षमाकाल घटक: यह कर दाताओं को बकाया कर भुगतान करने और कानून के तहत अन्य नतीज़ों से मुक्त होने का अवसर प्रदान कराती है.

लाभ

  • करदाता बकाया कर राशि का भुगतान कर सकते हैं और कानून के तहत किसी अन्य परिणाम से मुक्त हो सकते हैं.
  • करदाताओं को ब्याज, दंड और जुर्माना की पूरी छूट के रूप में पर्याप्त राहत मिलेगी.
  • अभियोजन कार्यवाही से पूरी तरह से माफी मिल जाएगी.

प्रभाव

  • राजस्व सृजन: यह योजना सरकार के लिए मुकदमेबाजी के खर्च को कम करेगी और साथ हीराजस्व उत्पन्न करने में मदद कर सकती है.

आलोचना

विधेयक की आलोचना दो आधारों पर की गई है:

  • योजना के नाम में हिंदी शब्दों का उपयोग करना: इसके नाम में हिंदी शब्दों का उपयोग करने को लेकर यह तर्क दिया जा रहा है कि यह गैर-हिंदी बोलने वालों पर हिंदी को लागू करने का सरकार का तरीका है. कुछ राजनीतिक दलों ने इसके नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि देश में आबादी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषाओं की विविधता को देखते हुए बिल का नाम अंग्रेजी में होना चाहिए.
  • मौलिक अधिकार का उल्लंघन: बिल की आलोचना ईमानदार और बेईमान दोनों लोगों के साथ समान रूप से व्यवहार करने के लिए की जाती है. यह बिल मूल करदाताओं को उनके जुर्माने और ब्याज की कुल राशि पर छूट देने का समर्थन करता है और इससे अकेले विवादित कर के भुगतान से दूर होने का विचार भी समर्थित होता है. मनमाना होने के कारण यह समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है. यह समान रूप से असमान व्यवहार करता है जिससे अनुचित वर्गीकरण होता है.

आगे का रास्ता

  • नई योजना के जरिए सरकार को उम्मीद है कि प्रत्यक्ष कर मुकदमेबाजी में शामिल एक बड़ी रक़म को तेजी और सरल तरीके से वसूल करेगी.जबकि करदाताओं को इस मामले से अंतहीन रूप से लड़ने के लिए राहत देने की भी पेशकशकी गई है. ऐसी सरकार जो राजस्व में कमी पर नज़र गड़ाए है (विशेष रूप से कर राजस्व), के लिए यहयोजना बहुत मायने रखती है.