राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन
- 30 Dec 2019
31 दिसंबर, 2019 को सरकार ने राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) के तहत 102 लाख करोड़ रुपये की आधारभूत परियोजनाओं का अनावरण किया, जो कि अगले पांच वर्षों में अवसंरचना क्षेत्र में सरकार के खर्च के हिस्से के रूप में लागू किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
- प्रधानमंत्री ने वर्ष 2019 के अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला था कि अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास पर 100 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे, जिसमें सामाजिक एवं आर्थिक अवसंरचना परियोजनाएं भी शामिल हैं।
- इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक प्रत्येक वर्ष के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) को तैयार करने हेतु सितंबर 2019 में आर्थिक कार्य विभाग (DEA) में सचिव की अध्यक्षता में एक कार्य-बल (Task Force) का गठन किया गया था।
- नीति आयोग के सीईओ, व्यय विभाग के सचिव, प्रशासनिक मंत्रालयों के सचिव और आर्थिक मामले विभाग में अपर सचिव (निवेश) इसके सदस्य जबकि आर्थिक कार्य विभाग में संयुक्त सचिव (अवसंरचना नीति और वित्त प्रभाग) इसके सदस्य सचिव थे।
कार्यबल के विचारार्थ विषय
- 2020 से 2025 के बीच शुरू की जा सकने वाली तकनीकी और वित्तीय/आर्थिक रूप से व्यवहार्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पहचान करना।
- वार्षिक अवसंरचना निवेश/पूंजी लागत का अनुमान लगाना।
- वित्त-पोषण के उपयुक्त स्रोतों की पहचान करने में मंत्रालयों का मार्गदर्शन करना।
- परियोजनाओं की निगरानी के लिए उपाय सुझाना ताकि लागत और समय की अधिकता कम से कम हो।
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP)
- यह अनुमान है कि भारत को अपनी विकास दर को बनाए रखने के लिए 2030 तक बुनियादी ढांचे पर 5 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता होगी। NIP का प्रयास इस लक्ष्य को कुशल तरीके से प्राप्त करना है।
- NIP में 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड परियोजनाएं शामिल होंगी।
- चालू वर्ष के लिए पाइपलाइन में शामिल करने के लिए अन्य योग्यताओं में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) की उपलब्धता, कार्यान्वयन की व्यवहार्यता, वित्त पोषण योजना में समावेश और प्रशासनिक स्वीकृति की तत्परता/उपलब्धता शामिल होगी।
- परियोजनाओं के समयबद्ध और लागत के अनुसार कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक मंत्रालय/विभाग परियोजनाओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे।
उद्देश्य
- नई अवसंरचना परियोजना और मौजूदा बुनियादी ढांचे को अद्यतन कर बदलती जनसांख्यिकीय प्रोफाइल की आकांक्षाओं को पूरा करना तथा भारत में जीवन शैली की गुणवत्ता और सुगमता को वैश्विक स्तर पर लाना।
अवसंरचना दृष्टिकोण 2025आकांक्षाओं को पूरा करना, विकास को बढ़ावा देना, जीवन सुगमता प्रदान करनासस्ती और स्वच्छ ऊर्जा
डिजिटल सेवाएं: सभी के लिए पहुंच
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
सुविधाजनक और कुशल परिवहन
सभी के लिए आवास और पानी की आपूर्ति
आपदा-लचीला मानक अनुपालन वाली सार्वजनिक अवसंरचना
किसान की आय दोगुनी करना
अच्छी सेहत और आरोग्य
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अन्य प्रमुख क्षेत्र
- इसके अंतर्गत अन्य प्रमुख फोकस क्षेत्र सड़कें (19%) , रेलवे (13%), शहरी अवसंरचना (16%), ग्रामीण अवसंरचना (8%) और सिंचाई (8%) हैं।
- स्वास्थ्य और शिक्षा सहित सामाजिक अवसंरचना पर पूंजीगत व्यय का 3% खर्च किया जाएगा, साथ ही डिजिटल संचार और औद्योगिक व्यय हेतु प्रत्येक को समान राशि मिलेगी।
- कृषि और खाद्य प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे पर नियोजित पूंजीगत व्यय का 1% खर्च किया जाएगा।
NIP का क्षेत्रवार विवरण (लाख करोड़ रुपए में मूल्य) |
|
खाद्य प्रसंस्करण |
0.01 |
खेल |
0.08 |
स्टील |
0.08 |
पर्यटन |
0.24 |
स्कूली शिक्षा |
0.38 |
कृषि |
0.54 |
बंदरगाह |
1.01 |
उच्च शिक्षा |
1.18 |
हवाई अड्डों |
1.43 |
परमाणु ऊर्जा |
1.54 |
स्वास्थ्य |
1.69 |
पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस |
1.95 |
औद्योगिक गलियारे |
2.99 |
डिजिटल अवसंरचना |
3.20 |
पेयजल |
3.62 |
ग्रामीण अवसंरचना |
4.11 |
सिंचाई |
7.73 |
अक्षय ऊर्जा |
9.30 |
परंपरागत ऊर्जा |
11.76 |
रेलवे |
13.69 |
शहरी और आवास |
16.29 |
सड़क |
19.64 |
· सड़क, शहरी और आवास, रेलवे, बिजली (नवीकरणीय और पारंपरिक) और सिंचाई में NIP का 80% शामिल है। |
परियोजना का प्रभाव
अर्थव्यवस्था
- सुनियोजित राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन अवसंरचना परियोजनाओं को अधिक सक्षम बनाकर ,व्यवसायों में वृद्धि, रोजगार सृजन , जीवनयापन में सुगमता और बुनियादी ढांचे तक सभी की समान पहुंच प्रदान कर, विकास को और अधिक समावेशी बनाएगी।
सरकार
- सुविकसित बुनियादी ढांचा आर्थिक गतिविधि के स्तर को बढ़ाने, सरकार के राजस्व आधार में सुधार करके अतिरिक्त वित्तीय संसाधन प्रदान करने और उत्पादक क्षेत्रों में केंद्रित व्यय की गुणवत्ता को मजबूत करने में मदद करता है।
डेवलपर्स
- परियोजनाओं को पूरा करने के संबंध में बेहतर दृष्टिकोण, परियोजना में बोली लगाने के लिये तैयारी हेतु पर्याप्त समय के साथ ही परियोजना के असफल होने जैसी आशंका को कम करता है तथा निवेशकों के आत्मविश्वास में वृद्धि द्वारा वित्तीय स्रोतों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करता है।
बैंक/वित्तीय संस्थान (FI)/ निवेशक
- यह कार्यक्रम परियोजनाओं की बेहतर तरीके से तैयारी के माध्यम से निवेशकों के विश्वास को बढ़ाता है तथा सक्रिय परियोजना निगरानी के माध्यम से दबाव को कम करता है, जिससे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets – NPAs) की संभावना कम होती है।
आगे की राह
- 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को पूरा करने हेतु तेजी से विकास के लिए अधिक आपूर्ति-पक्ष सुधारों की आवश्यकता है। नई अवसंरचना और मौजूदा बुनियादी ढांचे मे सुधार भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
- यह ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की सफलता के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता बुनियादी ढांचे पर निर्भर करती है। बुनियादी ढांचे का विकास अल्पकालिक वृद्धि दर के साथ ही जीडीपी वृद्धि की संभावित दर को बढ़ाएगा।
- अवसंरचना परियोजनाओं में श्रम-बल की आवश्यकता होगी, जो अर्थव्यवस्था में रोजगार और आय सृजन के साथ ही घरेलू मांग को बढ़ाएगा। बेहतर लॉजिस्टिक और नेटवर्क के माध्यम से बेहतर बुनियादी ढांचे की क्षमता से अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा, जिससे अर्थव्यवस्था में अधिक निवेश विकास और रोजगार सृजन के चक्र में मदद मिल सकती है।