यूएनईपी UNEP उत्सर्जन गैप रिपोर्ट - 2019
- 02 Dec 2019
- नवम्बर 2019 में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र उत्सर्जन गैप रिपोर्ट-2019’ जारी की गयी | यह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 'देशों को क्या करने की आवश्यकता है' (पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप) और 'विभिन्न देश वास्तव में क्या कर रहे हैं' के बीच के अंतर को मापता है। उत्सर्जन गैप रिपोर्ट विभिन्न देशों के 2030 में प्रत्याशित उत्सर्जन के आकलन पर आधारित होता है |
रिपोर्ट के बारे में
- उत्सर्जन गैप रिपोर्ट की यह दसवीं श्रृंखला है | यह रिपोर्ट देशों के जलवायु संकल्प और कार्य एवं वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी) की प्रवृत्तियों का वैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत करता है |
- इस वर्ष की रिपोर्ट में ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र पर जोर दिया गया है जिसमें विद्युतीकरण और ऊर्जा दक्षता को सफल ऊर्जा संक्रमण की कुंजी माना गया है।
- यह रिपोर्ट उत्सर्जन अंतर को कम करने के लिए छह बिंदुओं की पहचान करता है जो निम्नलिखित हैं:
- वायु प्रदूषण, वायु गुणवत्ता, स्वास्थ्य,
- शहरीकरण,
- शासन, शिक्षा, रोजगार,
- डिजिटलीकरण,
- जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए ऊर्जा- और भौतिक-दक्ष सेवाएं,
- भूमि उपयोग, खाद्य सुरक्षा, जैव-ऊर्जा | इस रिपोर्ट में इनकी स्थिति में सुधार करने की सिफारिश की गयी है |
प्रमुख निष्कर्ष
GHG उत्सर्जन में वृद्धि जारी
- जीएचजी उत्सर्जन पिछले दशक में प्रति वर्ष 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वर्ष 2018 में कुल जीएचजी उत्सर्जन 55.3गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।
- 2030 तक, उत्सर्जन को 2018 की तुलना में 55 प्रतिशत कम करने की आवश्यकता होगी ताकिकम से कम लागतपरविश्व पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।
शीर्ष उत्सर्जक
- चीन, यूरोपीय यूनियन, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका कुल चार शीर्ष उत्सर्जकहैं जो55 प्रतिशत से अधिकजीएचजीकाउत्सर्जन करते हैं।
- वे क्षेत्र जो सबसे बड़े उत्सर्जक हैं- ऊर्जा>उद्योग>वानिकी>परिवहन>कृषि>भवन।
बड़ी अर्थव्यवस्था, बड़ा उत्सर्जनजी-20 के सदस्य देशों में विश्व की बड़ी अर्थव्यस्थाएं शामिल है जिनका कुल जीएचजी उत्सर्जन में योगदान 78 प्रतिशत है | लक्ष्य पूरा करने की संभावना नहींअधिकांश जी-20 देशों द्वारा पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने की संभावना नहीं हैं जिनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका प्रमुख है | लक्ष्य पूरा करनाईयू के 28 देश, चीन और मेक्सिको कम से कम 15% से अधिक लक्ष्य को प्राप्त करनाभारत, रूस* और तुर्की* प्रदर्शन अनिश्चितअर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सऊदी अरब *रूस और तुर्की अपने जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं, लेकिन जर्मनी के जलवायु एक्शन ट्रैकर के अनुसार लक्ष्य खुद "गंभीर रूप से अपर्याप्त" हैं। स्रोत:यूएनईपी उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, 2019 |
निवल शून्य उत्सर्जन
- हालांकि 2050 के लिए निवल शून्य GHG उत्सर्जन लक्ष्यों की घोषणा करने वाले देशों की संख्या बढ़ रही है, मगर केवल कुछ देशों ने ही अभी तक औपचारिक रूप से UNFCCC के समक्ष दीर्घ कालिक रणनीति प्रस्तुत की है।
- पांच जी-20 सदस्यों (ईयू और चार अन्य सदस्यों) ने शून्य उत्सर्जन लक्ष्य के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त किया है । शेष पंद्रह जी-20 सदस्य अभी तक शून्य लक्ष्यीकरण के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं।
बड़ा उत्सर्जन गैप
- 2030 में, 2 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य और 5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मौजूदा एनडीसी की तुलना में क्रमशः15 गीगाटन CO2 और 32 गीगाटन CO2 उत्सर्जनकम होना चाहिए।
राष्ट्रीय निर्धारित भागीदारी (एनडीसी) को मजबूत करना
- 2020 से सभी देशों को अपनी एनडीसी महत्वाकांक्षाओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। 2°C से कम तापमान केलक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एनडीसी महत्वाकांक्षाओं को तीन गुनाऔर 5°C से कम तापमान केलक्ष्य प्राप्त करने के लिए पांच गुना से अधिक करने की आवशयकता है।
भारत सरकार केहालिया प्रयास
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भारत के लिए उपयोगी उपाय
- कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से संक्रमण की योजना बनाना,
- शून्य-उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों में निवेश,
- हरित औद्योगिकीकरण रणनीति विकसित करना,
- मास पब्लिक ट्रांज़िट सिस्टम का विस्तार करना,
- समय समय पर हरित लक्ष्यों को परिक्षण एवं अद्यतन करना ।
उत्सर्जन अंतराल क्या है?
- उत्सर्जन अंतराल को प्रतिबद्धता अंतराल भी कहते है |यह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं और वास्तव में क्या करना है के बीच के अंतर को मापता है।
- यह गैप उत्सर्जन के निम्न स्तरों के बीच का अंतर है, जिसे विश्व के देशों को अपनीवर्तमान प्रतिबद्धताओं के आधार पर अकार्बनिकरण(decarbonization) के लिए कम करने की आवश्यकता है।
यह महत्वपूर्ण क्यों है?
- यहअंतराल इसलिए महत्वपूर्ण है कि अगर हम उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य को पूरा नहीं करते हैंतो दुनिया भर में गंभीर जलवायु प्रभाव तेजी से बढेगा।
- यह देश के नीति निर्माता और नागरिकदोनों के लिए महत्वपूर्ण है | इस अंतराल के बारे में जागरूकता, एक देश को इसे कम या समाप्त करने की प्रतिप्रतिबद्ध बनाएगा।
आगे की राह
- हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि स्पष्ट परिवर्तन अभी भी 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित हो सकता है। इसके लिए, देशों को उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य के साथ-साथ देशों को 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करनेके लिए प्रतिबद्धहोना चाहिए | इसके अनुरूप महत्वाकांक्षीएनडीसी लक्ष्योंका निर्धारण करना चाहिए ।
- ग्लोबल वार्मिंग लक्ष्यों को प्राप्त करने में देशों को “गैर-राज्य कर्ताओं’(जैसे कंपनियों और गैर सरकारी संगठनों) और उप-नागरिकों (राज्य सरकारों और शहर प्रशासन) की भूमिका को मजबूत किया जाना चाहिए। CO2 उत्सर्जक गतिविधियों को हतोत्साहित करने के लिए कार्बन कर लगाने पर विचार किया जाना चाहिए।
यदि उत्सर्जन अंतराल को ख़त्म करने से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त किए जाते हैं, तो इससे भारत को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्तिमें भीसहायता मिलेगी।