महामारी युग से बचने का उपाय

  • 07 Nov 2020

  • 29 अक्टूबर, 2020 को जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform On Biodiversity and Ecosystem Services- IPBES) ने एक रिपोर्ट ज़ारी किया जिसमें कहा गया है कि भविष्य में यदि संक्रामक बीमारियों से लड़ने के लिए वैश्विक पटल पर परिवर्तनकारी तब्दीलियाँ नहीं की जाती तो भविष्य में आने वाली महामारियां और ख़तरनाक होंगी, और अधिक तीव्रता से उनका प्रसार होगा तथा उन महामारियों के चलते होने वाली मौतें कोविड-19 की बदौलत होनेवाली मौतों से भी अत्यधिक होगीं।

मुख्य निष्कर्ष

प्रकृति में विद्यमान जीवाणु विविधता महामारियों का उभार

  • उभरती बीमारियों (जैसे- इबोला, ज़ीका, निप्पा, इन्सेफेलाइटिस)में से ज्यादातर बीमारियाँ (70 प्रतिशत), जिन्हें महामारी (जैसे- इन्फ्लूएंजा, एचआईवी / एड्स, कोविड-19) के रूप में जाना जाता है, जूनोस होते हैं अर्थात इनकी उत्पत्ति जानवरों के जीवाणुओं से होती है. ये जीवाणुवन्यजीव, पशुधन और इंसानों के संपर्क के कारण तीव्रता से फैलाते हैं।

मानव पारिस्थितिक विघटन और उपभोग हेतु प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का निरंतर दोहनमहामारी के जोख़िम को बढ़ाता है

  • महामारी के प्रकोप का ख़तरा लगातार बढ़ाता जा रहा है, प्रत्येक वर्ष लोगों को पाँच से अत्यधिक बीमारियां घेर रही हैं। उन्हीं बीमारियों में कुछ एक में भीषण रूप से फैलने और महमारी बनाने की क्षमता है।
  • भूमि के उपयोग में बदलाव, कृषि का विस्तार और उसकी तीव्रता, वन्यजीव व्यापार और खपत के लिए पर्यावरण का अनवरत दोहन वन्य-जीवन के बीच प्राकृतिक संबंधों को बाधित करता है।वन्यजीवों और उनके रोगाणुओं के बीच प्राकृतिक संबंधों को बाधित करता है।वन्यजीवों, पशुधन, लोगों और उनके रोगजनकों के बीच संपर्क बढ़ाता है और लगभग सभी महामारियों का कारण बना है।
  • वन्यजीवों, पशुओं और लोगों के रोगज़नक़ों से भी जैव-विविधता को सीधेतौर पर ख़तरा हो सकता है, और उन्हीं गतिविधियों के माध्यम से महामारी उभर सकती है जो लोगों में बीमारी का ख़तरा बढ़ाती हैं।

मानवजनित वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन (Anthropogenic Global Environmental Change) को कम करके महामारी के ख़तरे को कम किया जा सकता है

  • महामारी और अन्य उभरते हुए जूनोज व्यापक रूप से मानव पीड़ा का कारण बनते हैं, और जिसके चलते सालाना एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक आर्थिक नुकसान होने की संभावना है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव का सही मूल्यांकन तभी किया जा सकता है जब उसके संचरण पूरी तरह नियंत्रण हो और टीके (वैक्सीन) का वितरण पूरी तरह हो जाये.
  • जहाँ से बीमारी फैली है ऐसे उच्च जोख़िम वाले क्षेत्रों (हॉटस्पॉट) में ज़रूरी वस्तुओं की खपत बढ़ाकर और अरक्षणीय (Unsustainable) वस्तुओं के निरंतर दोहन को कम करके महामारी जोख़िम कोकम किया जा सकता है। इसके साथ-साथ वन्यजीव और वन्यजीव व्युत्पन्न उत्पादों तथा मांस की अत्यधिक खपत को कम करके भी महामारी जोखिम को काफी कम किया जा सकता है।

भूमिउपयोग में बदलाव, कृषि का विस्तार और शहरीकरण के कारण 30% से अधिक बीमारी की घटनाएंउभर रही हैं

  • भूमिउपयोग में परिवर्तन विश्व स्तर पर महामारी का एक महत्वपूर्ण चालक है और 1960 के बाद से रिपोर्ट किए गए 30% से अधिक नए रोगों के उत्पत्ति का कारण है।
  • भूमि उपयोग के परिवर्तन में वनों की कटाई, मुख्य रूप से वन्यजीवों के क्षेत्रों में मानव बस्ती, फसल और पशुधन उत्पादन की वृद्धि और शहरीकरण शामिल हैं।
  • जैव-विविध स्थानों में मनुष्यों और पशुओं द्वारा प्राकृतिक स्थानों का विनाश और अतिक्रमण रोगज़नक़ों को फैलने और संचरण दर में वृद्धि के लिए नए रास्ते प्रदान करता है।

वन्य जीवों का उपभोगऔर व्यापार भविष्य में महामारी के लिए एक विश्वव्यापी महत्वपूर्ण जोख़िम है

  • वन्यजीव व्यापार पूरे मानव इतिहास में हुआ है और कई देशों में लोगों, विशेष रूप से स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों के लिए पोषण और कल्याण प्रदान करता है।
  • सभी वन्य स्थलीय कशेरुकी प्रजातियों का लगभग 24% वैश्विक स्तर पर कारोबार किया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर परकानूनी वन्यजीव व्यापार पिछले 14 वर्षों में मूल्य में पांच गुना से अधिक बढ़ गया है और 2019 में 107 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका वन्यजीवों के सबसे बड़े कानूनी रूप से आयातकों में से एक है, जिसमें प्रत्येक वर्ष 10-20 मिलियन जंगली जानवरों (स्थलीय और समुद्री) का आयात किया जाता है, इसमें से ज्यादातर व्यापार वन्य जीवों को पालने के लिए (पालतू व्यापार के लये) किया जाता है।
  • बीमारी के उद्भव के कारणों में वन्यजीवों की अवैध व अनियंत्रित व्यापार और निरंतर खपत के साथ-साथ वन्यजीवों के कानूनी, विनियमित व्यापार को जोड़ा गया है।

विचारोत्तेजक उपाय (Suggestive Measures)

रिपोर्ट में निम्नलिखित नीति विकल्प दिए गए हैं जो महामारी जोख़िम को कम करने और पता लगाने में मदद करेंगे:

  • महामारी की रोकथाम पर एक उच्च-स्तरीय अंतर सरकारी परिषद (High-Level Intergovernmental Council)का शुभारंभ करना जो सर्वोत्तम विज्ञान के माध्यम से उभरती बीमारियों का पता लगाए, उच्च जोख़िम वाले क्षेत्रों की भविष्यवाणी करें, संभावित महामारियों के आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन और शोध के अंतराल को उजागर करे।इस तरह की परिषद वैश्विक निगरानी ढांचे के डिजाइन का समन्वय भी कर सकती है।
  • विभिन्न देश एक अंतरराष्ट्रीय सहमति या समझौते के ढांचे के भीतर पारस्परिक रूप से सहमत लक्ष्यों को (Mutually-Agreed Goals)स्थापित करें जिसमें साफ़ तौर पर लोगों का, जानवरों का और पर्यावरण के लिए स्पष्ट लाभ हो।
  • महामारी को लेकर तैयारी के लिए, महामारी की रोकथाम के कार्यक्रमों को बढ़ाने के लिए तथा सभी क्षेत्रों में प्रकोपों की जांच और नियंत्रण करने के लिए सरकारों को “एक स्वास्थ्य (One Health)”दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए।
  • भूमि-उपयोग के लिए वित्तीय सहायता में सुधार करते हुए प्रमुख विकास और भूमि उपयोग परियोजनाओं में महामारी और उभरती हुई बीमारी के जोख़िम के स्वास्थ्य प्रभाव आकलन का विकास और समावेश करना ताकि जैवविविधता और स्वास्थ्य के लाभ और जोख़िमों को स्पष्ट रूप से पहचाना जा सके और उसे लक्षित किया जा सके।
  • यह सुनिश्चित करना कि महामारी की आर्थिक लागत (The Economic Cost Of Pandemics) खपत, उत्पादन और सरकारी नीतियों और बजट में निहित है।
  • महामारियों के कारण बने व्यापार,वैश्वीकरण वाले कृषि विस्तार और उपभोग के प्रकारों को कमी लेन वाले परिवर्तनकारी क़दम उठाये जाने चाहिए।इसके लिए मांस की खपत, पशुधन उत्पादन और उच्च महामारी-जोख़िम गतिविधियों के अन्य रूपों में कर (Taxes) लगाये जा सकते हैं।
  • एक नए अंतर-सरकारी ‘स्वास्थ्य और व्यापार (Health and Trade)’साझेदारी के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार में प्राणीजन्य रोग (zoonotic disease) के जोख़िमों को कम करना,वन्यजीव व्यापार में उच्च रोग-जोख़िमों वाले प्रजातियों को कम करना या ख़त्म करना,अवैध वन्यजीव व्यापार के सभी पहलुओं में कानूनी प्रवर्तन को बढ़ाना औरवन्यजीव व्यापार के जुड़े स्वास्थ्यके लेकर ख़तरों के बारे में उच्च जोख़िम वाले क्षेत्रों (हॉटस्पॉट) में सामुदायिक शिक्षा(Community Education)में सुधार करना।
  • महामारी निवारण कार्यक्रमों में देशी लोगों और स्थानीय समुदायों के जुड़ाव स्थापित करना और उनके ज्ञान को प्राप्त करना, अधिक से अधिक खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करनाऔर वन्य जीवन की खपत को कम करना।
  • महत्वपूर्ण जोख़िम व्यवहारों के बारे में ज़रूरीजानकारी अंतराल (Critical Knowledge Gaps)को ख़त्म करना, गैरकानूनी, अनियमितऔर कानूनी और विनियमित वन्यजीव व्यापार के जोख़िम के महत्व के बारे मेंसमझ विकसित करना, तथा पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट और बहाली, परिदृश्य संरचना और बीमारी के उद्भव के जोखिम के बीच संबंधों की समझ में सुधार करना।

महत्व

  • रिपोर्ट को कोविड-19 महामारी के दौरान एक महत्वपूर्ण परिस्थितिमें प्रकाशित किया गया है, जिस पर इसके दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को मान्यता दी जा रही है।
  • यह अभी तक ज्ञात वैज्ञानिक प्रमाणों का एक और साक्ष्य प्रदान करता है कि फैक्ट्री फार्मिंग, वैश्विक मुक्त व्यापार और असीमित आर्थिक विकास पर आधारित वर्तमान प्रणाली के परिणामस्वरूप प्रकृति के व्यवधान से हमारा स्वास्थ्य और समाज गंभीर रूप से संकटग्रस्त है।
  • यह रिपोर्ट परिवर्तनकारी बदलाव की आवश्यकता को स्वीकृति प्रदान कराती है और महामारी को रोकने के लिए नीतिगत विकल्पों की पहचान करने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य का उपयोग करती है।

जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform On Biodiversity and Ecosystem Services- IPBES)

  • यह जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग, दीर्घकालिक मानव कल्याण और सतत विकासके लिएजैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं हेतु विज्ञान व नीति अंतराफलक (Science-Policy Interface) को मजबूत करने के लिए राज्यों द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है।
  • इसे 94 सरकारों द्वारा 21 अप्रैल,2012 को पनामा सिटी में स्थापित।यह संयुक्त राष्ट्र का निकाय नहीं है।
  • IPBES में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP), संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO), खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO)और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP)के साथ सहयोगात्मक साझेदारी की व्यवस्था है। इसके सचिवालय की मेज़बानी जर्मन सरकार द्वारा किया गया है और यहजर्मनी के बॉन, संयुक्त राष्ट्र के परिसर में स्थित है।