जहाज़ों के पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग)के लिए राष्ट्रीय प्राधिकरण
- 17 Oct 2020
- 15 अक्टूबर, 2020 को केंद्र सरकार ने नौवहन महानिदेशालय (Directorate General of Shipping) को जहाज़ों का पुनर्चक्रण विधेयक, 2019 की धारा 3 के तहत राष्ट्रीय प्राधिकरण के रूप में अधिसूचित किया।
राष्ट्रीय जहाज़पुनर्चक्रण प्राधिकरण (National Authority for Recycling of Ships- NARS) के बारे में
- राष्ट्रीय जहाज़पुनर्चक्रण प्राधिकरण को गुजरात के गांधीनगर में तैयार किया जाएगा।
- राष्ट्रीय जहाज़पुनर्चक्रण प्राधिकरण के कार्यालय का स्थान वहां के आस-पास के जहाज़पुनर्चक्रण यार्ड के मालिकों को फ़ायदा पहुँचायेगा. दरअसल, गुजरात एशिया का सबसे बड़ा जहाज़ोंतोड़-फोड़ (खंडन) और दुनियाभर में जहाज़ों के रीसाइक्लिंग उद्योग का घर है।
कार्य
- नौवहन महानिदेशालय को जहाज़ों के पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) से संबंधित सभी गतिविधियों का प्रबंधन, पर्यवेक्षण और निगरानी करने के लिएशीर्ष निकाय के रूप में अधिकृत किया गया है।
- यह पुनर्चक्रण उद्योग के सतत विकास का देखभाल करेगा, पर्यावरण के अनुकूल मानदंडों के अनुपालन की निगरानी करेगा और जहाज़ों के रीसाइक्लिंग उद्योग में काम करने वाले हितधारकों के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य उपायों का ध्यान रखेगा।
- शिप-रिसाइक्लिंग यार्ड के मालिकों और राज्य सरकारों द्वारा आवश्यक विभिन्न स्वीकृतियों(Various Approvals)के लिए यह अंतिम प्राधिकरण होगा।
जहाज़ों का पुनर्चक्रण विधेयक, 2019
प्रमुख विशेषताऐं
जहाज़ों के पुनर्चक्रण के लिए हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
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भारत में जहाज़ोंके पुनर्चक्रणउद्योग की स्थिति
- दुनिया के सबसे बड़े जहाज़ों तोड़ने की सुविधाओं में से एक भारत में है,जिसकी तट के साथ दूरी 150 गज़ से अधिक है।
- भारत में हर साल औसतन 6.2 मिलियन सकल टन भार (Gross tonnage- GT)के कतरन (स्क्रैप)इकट्ठे किए जातेहैं, जो दुनिया में कुल स्क्रैप का 33% है।
भारत में जहाज़ों के रीसाइक्लिंग उद्योग से जुड़े मुद्दे (चुनौतियाँ)
सुरक्षा के मुद्दे
- अपर्याप्त सुरक्षा नियंत्रण काम के संचालन की अच्छी तरह निगरानी नहीं करते हैं और विस्फोट का उच्च जोख़िम इस काम को बेहद ख़तरनाक बनाता है।
- काम की प्रक्रियाओं के लिए समन्वय की कमी, जिसके चलते अक्सर बुनियादी जोख़िम को कम करने या ख़त्म करने की अनदेखी हो जाती है और अंततः दुर्घटनाएं होती हैं।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
- जहाज़ों के कई हिस्सों में पाए जाने वाले अन्य भारी धातुओं के संपर्क में आने से कैंसर जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का परिणाम हो सकते हैं, जैसे पेंट, कोटिंग्स, एनोड और बिजली के उपकरण,इत्यादि।
- श्रमिकों के पास स्वास्थ्य सेवाओं और अपर्याप्त आवास, कल्याण और सैनिटरी सुविधाओं तक बहुत सीमित पहुंच है जो श्रमिकों की दुर्दशा को और बढ़ा देते हैं।
अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे
- जहाज़ तोड़ने में उत्पन्न ठोस कचरों का प्रबंधन भारत में एक प्रमुख चिंता का विषय है।
- हालाँकि किसी जहाज़ का अपशिष्ट जहाज़ के मृत वजन का लगभग 1% ही होते हैं, लेकिन कुल अपशिष्ट की मात्रा लाखों टन में होती है, जो कचरों को संभालना मुश्किल बना देती है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए एक बड़ा ख़तरा पैदा हो जाता है।
जल प्रदूषण
- इससे जल निकाय, मुख्य रूप से समुद्री जलनिलंबित ठोस पदार्थ, नाइट्रेट, फॉस्फेट, भारी धातुओं, तेल और ग्रीससेप्रदूषित होता है।
वायु प्रदुषण
- विभिन्न वायु प्रदूषकों जैसे कि फ़्यूरेंस (Furans) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Polycyclic Aromatic Hydrocarbons- PAHs), फाइन पार्टिकुलेट (Fine Particulates) को जहाज़ की तोड़ने की प्रक्रिया के दौरान निकलते हैं।
- आगे चलकर विभिन्न जहाज़ तोड़ने की प्रक्रियाएं वायु प्रदूषण में बड़ा योगदान देतीहैं।
आगे का रास्ता
- वर्तमान उच्च मानव और पर्यावरणीय लागतों को देखते हुए, यह संभावना है कि जहाज़ के मालिक और ब्रेकर, राज्य तंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानून को अंतराल को भरने के लिए प्रत्येक को अपने सहयोग को विकसित करने और बढ़ाने के लिए ज़ारी रखने की आवश्यकता होगी।
- जहाज मालिकों को अपने जहाजों के पुनर्चक्रण के साथ ही साथ एक स्थायी सामाजिक और पारिस्थितिक जिम्मेदारी को शामिल करने की आवश्यकता है।
- अनुपालन सुविधाओं की एक अच्छी तरह से संतुलित वैश्विक सूची केवल तभी बनी रह सकती है जब जहाजों के पुनर्चक्रण का एक अच्छा और निरंतर प्रवाह बना रहे।
- स्थिरता के मुद्दों की पृष्ठभूमि के साथ, इस उद्योग में भारत में प्रमुख आर्थिक गतिविधि होने की संभावना है।