भगवदगीता और नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियां यूनेस्को की स्मृति रजिस्टर में शामिल

  • 19 Apr 2025

18 अप्रैल को UNESCO ने 74 नई दस्तावेज धरोहर संग्रहों को अपनी विश्व स्मृति रजिस्टर (Memory of the World Register) में शामिल किया है , जिनमें भारत की भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियां भी शामिल हैं। इसके साथ ही भारत की कुल 14 प्रविष्टियां इस अंतरराष्ट्रीय सूची में दर्ज हो गई हैं।

प्रमुख तथ्य:

  • यूनेस्को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर : यह 1992 में स्थापित हुआ था, जिसका उद्देश्य मानवता की महत्वपूर्ण दस्तावेजी धरोहरों का संरक्षण और सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना है। अब तक कुल 570 संग्रह इस सूची में शामिल हैं।
  • भगवद गीता का महत्व: भगवद गीता महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है, जो दर्शन, धर्म और आध्यात्म का सार्वभौमिक मार्गदर्शक है। इसे लगभग 80 भाषाओं में अनूदित किया गया है।
  • नाट्यशास्त्र का महत्व: भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र नाट्यकला, अभिनय, संगीत, नृत्य और रस सिद्धांत पर प्राचीन ग्रंथ है, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य और नाट्य परंपराओं का आधार है।
  • वैश्विक संदर्भ: 74 नई प्रविष्टियों में से 14 वैज्ञानिक दस्तावेजी धरोहर से संबंधित हैं, साथ ही महिलाओं के योगदान और बहुपक्षीयता के महत्वपूर्ण मील के पत्थर भी शामिल हैं। ये संग्रह 72 देशों और 4 अंतरराष्ट्रीय संगठनों से आए हैं।
  • सरकारी प्रतिक्रियाएं: प्रधानमंत्री ने इसे “हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण” बताया और कहा कि ये ग्रंथ सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित करते आए हैं।