टाइप 5 डायबिटीज

  • 16 Apr 2025

14 अप्रैल 2025 को बैंकॉक में आयोजित वर्ल्ड डायबिटीज कांग्रेस के दौरान इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) ने टाइप 5 डायबिटीज को एक अलग स्वास्थ्य स्थिति के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दी। यह स्थिति मुख्य रूप से कुपोषित, दुबले-पतले किशोरों और युवाओं को प्रभावित करती है, विशेषकर एशिया और अफ्रीका के निम्न व मध्यम आय वाले देशों में।

मुख्य तथ्य और आंकड़े:

  • रोग का स्वरूप और प्रसार : टाइप 5 डायबिटीज एक कुपोषण-जनित डायबिटीज है, जो लगभग 2 से 2.5 करोड़ लोगों को प्रभावित करती है। यह टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से अलग है, क्योंकि इसमें इंसुलिन रेजिस्टेंस नहीं बल्कि इंसुलिन स्राव में गहरा दोष होता है।
  • इतिहास : इस स्थिति का पहली बार 1955 में जमैका में 'J-type diabetes' के रूप में दस्तावेजीकरण हुआ था। 1960 के दशक में भारत, पाकिस्तान और उप-सहारा अफ्रीका में भी रिपोर्ट हुई। WHO ने 1985 में इसे मान्यता दी थी, लेकिन 1999 में पर्याप्त अनुसंधान के अभाव में इसे हटा लिया गया।
  • नवीनतम अनुसंधान और उपचार: हालिया शोध से स्पष्ट हुआ है कि टाइप 5 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन इंजेक्शन हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि यह स्थिति इंसुलिन स्राव की कमी से जुड़ी है, न कि रेजिस्टेंस से। उपचार के लिए पोषण सुधार और विशेष प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।
  • IDF की पहल: IDF ने टाइप 5 डायबिटीज के लिए एक कार्य समूह गठित किया है, जो अगले दो वर्षों में औपचारिक डायग्नोस्टिक और उपचार दिशानिर्देश तैयार करेगा। साथ ही, वैश्विक रजिस्ट्री और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए शैक्षिक मॉड्यूल भी बनाए जाएंगे।
  • चुनौतियां और महत्व: टाइप 5 डायबिटीज की पहचान और उपचार में कठिनाई रही है, जिससे यह टीबी से भी अधिक और HIV/AIDS जितनी आम है। आधिकारिक नाम और दिशानिर्देशों की कमी के कारण यह दशकों तक उपेक्षित रही।