चागोस द्वीपसमूह विवाद
- 13 Mar 2025
12 मार्च, 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा के दौरान चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस के दावे का समर्थन किया। यह हिंद महासागर में एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीपसमूह है। यह विवाद मॉरीशस और यूके के बीच लंबे समय से चला आ रहा है।
मुख्य तथ्य:
- विवाद का इतिहास:
- चागोस द्वीपसमूह पर विवाद 1960 के दशक से शुरू हुआ जब यूके ने मॉरीशस से इसे अलग कर ब्रिटिश इंडियन ओशन टेरिटरी (BIOT) बनाया था।
- मॉरीशस को 1968 में स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन चागोस द्वीपसमूह यूके के नियंत्रण में रहा।
- मॉरीशस का दावा:
- मॉरीशस ने हमेशा चागोस द्वीपसमूह पर अपनी संप्रभुता का दावा किया है।
- 2019 में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला दिया कि यूके को चागोस द्वीपसमूह का प्रशासन जल्द से जल्द समाप्त करना चाहिए।
- नए समझौते की चर्चा:
- अक्टूबर 2024 में, यूके ने घोषणा की कि वह चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंप देगा, लेकिन डिएगो गार्सिया पर 99 वर्षों के लिए सैन्य अड्डे का संचालन जारी रखेगा।
- हालांकि, मॉरीशस की नई सरकार ने इस समझौते पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
- भारत का समर्थन :
- भारत ने मॉरीशस के दावे का समर्थन किया है, जो भारत की देशांतरण विरोधी नीति के अनुरूप है।
- विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत मॉरीशस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपने समर्थन को दोहराता है।
- प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा के दौरान चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस के दावे का समर्थन किया।
- इस यात्रा के दौरान भारत और मॉरीशस के बीच सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा हुई।
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