राहत इंदौरी का निधन
- 13 Aug 2020
मशहूर उर्दू कवि, शायर और गीतकार राहत इंदौरी का कोरोना संक्रमण के चलते 11 अगस्त, 2020 को इंदौर में निधन हो गया। वे 70 वर्ष के थे।
- 'सभी का खून है शमिल यहां की मिट्टी में; किस के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है' राहत इंदौरी की सबसे मशहूर पंक्तियों में से एक थी।
- बतौर कवि 50 साल के करिअर में, इंदौरी को 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' के 'एम बोले तोह'; 'करीब' फिल्म के 'चोरी चोरी जब नजरें मिली'; 'घातक' फिल्म के 'कोई जाए तो ले आए' और फिल्म 'इश्क' के 'नींद चुराई मेरी' जैसे गीतों के बोलों के लिए जाना जाता था।
- उनका असली नाम ‘राहत कुरैशी’ था। इंदोरी ने इंदौर के नूतन स्कूल से पढ़ाई की और इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से स्नातक किया। उन्होंने 1975 में बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया और 1985 में भोज विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जिसका शीर्षक 'उर्दू में मुशायरा' था।
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