सतत कृषि: लाभ और प्रबंधन युक्तियां
सतत कृषि के अंतर्गत फसल चक्र, जैविक खाद का उपयोग और मिट्टी की नमी को बनाए रखने के उपायों से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जाता है।
सतत कृषि के लाभ और प्रबंधन
मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता का संरक्षण
- फसल चक्रीकरण (Crop Rotation): विभिन्न फसलों को बदल-बदल कर उगाने से मृदा की उर्वरता बनी रहती है और कीटों व रोगों का प्रकोप कम होता है।
- हरित खाद (Green Manure): जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग करके मृदा की गुणवत्ता और पोषण तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकता है।
- संरक्षित कृषि (Conservation Tillage): मृदा अपरदन को रोकने के लिए न्यूनतम जुताई ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 चक्रवातों की बढ़ती आवृति एवं तटीय क्षेत्र
- 2 भारतीय मानसून के व्यवहार में परिवर्तन: प्रभाव एवं समाधान
- 3 भूमि निम्नीकरण: समस्या, प्रभाव एवं समाधान की रणनीति
- 4 देश में जल संकट: कारण एवं प्रभाव
- 5 संधारणीय पर्यटन : महत्व एवं चुनौतियां
- 6 भारत में आर्द्रभूमियों के पर्यावरणीय महत्व की चर्चा करते हुए इनके समक्ष विद्यमान संकटों को सूचीबद्ध कीजिए?
- 7 महासागरीय संसाधन तथा इसके समक्ष विद्यमान संकट
- 8 मेघ प्रस्फुटन (Cloudburst): उत्पत्ति तथा प्रभाव
- 9 भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण : समस्या एवं समाधान
- 10 समुद्री हीट वेव तथा इसके बहुआयामी प्रभाव
मुख्य विशेष
- 1 भारत में मृदा अपरदन के कारण और प्रभाव
- 2 महासागरीय धारा निर्माण के कारक
- 3 एल नीनो और ला नीना का प्रभाव
- 4 भारत के तटीय शहरों पर ग्लेशियर के पिघलने का प्रभाव
- 5 हिमालयी जैव विविधता का पारिस्थितिक महत्व
- 6 मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग: महत्व और प्रभाव
- 7 भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास: चुनौतियां और उपाय