एल नीनो और ला नीना का प्रभाव
अल नीनो एवं ला नीना (El Nino and La Nina) जटिल मौसम पैटर्न हैं, जो विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में समुद्र के तापमान में भिन्नता के कारण घटित होते हैं।
- अल नीनो और ला नीना की घटनाएं आमतौर पर 9 से 12 महीने तक चलती हैं, लेकिन कुछ लंबे समय तक चलने वाली घटनाएं वर्षों तक बनी रह सकती हैं।
- अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जो पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से तापन की स्थिति को दर्शाता है।
- ला नीना, पैटर्न पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के असामान्य शीतलन को दर्शाता है।
प्रभाव
अल ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 चक्रवातों की बढ़ती आवृति एवं तटीय क्षेत्र
- 2 भारतीय मानसून के व्यवहार में परिवर्तन: प्रभाव एवं समाधान
- 3 भूमि निम्नीकरण: समस्या, प्रभाव एवं समाधान की रणनीति
- 4 देश में जल संकट: कारण एवं प्रभाव
- 5 संधारणीय पर्यटन : महत्व एवं चुनौतियां
- 6 भारत में आर्द्रभूमियों के पर्यावरणीय महत्व की चर्चा करते हुए इनके समक्ष विद्यमान संकटों को सूचीबद्ध कीजिए?
- 7 महासागरीय संसाधन तथा इसके समक्ष विद्यमान संकट
- 8 मेघ प्रस्फुटन (Cloudburst): उत्पत्ति तथा प्रभाव
- 9 भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण : समस्या एवं समाधान
- 10 समुद्री हीट वेव तथा इसके बहुआयामी प्रभाव
मुख्य विशेष
- 1 भारत में मृदा अपरदन के कारण और प्रभाव
- 2 महासागरीय धारा निर्माण के कारक
- 3 भारत के तटीय शहरों पर ग्लेशियर के पिघलने का प्रभाव
- 4 हिमालयी जैव विविधता का पारिस्थितिक महत्व
- 5 मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग: महत्व और प्रभाव
- 6 भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास: चुनौतियां और उपाय
- 7 सतत कृषि: लाभ और प्रबंधन युक्तियां