मुक्त व्यापार समझौते : चुनौतियां, लाभ एवं संभावनाएं
मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का तात्पर्य दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ट्रेड ब्लॉक के निर्माण के लिए मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना है। इसके बाद यह एक मुक्त व्यापार क्षेत्र (free-trade area) बन जाता है।
- इस क्षेत्र में आयात और निर्यात पर किसी तरह का कोई प्रतिबन्ध, आयात कोटा या प्रशुल्क नहीं लगाया जाता। इससे आबाधित एक दूसरे देशों में वस्तुओं और सेवाओं का आयात-निर्यात बढ़ता है।
- FTA में वस्तुओं की कीमतें निर्धारित करने में मांग और पूर्ति का नियम लागू होता है। इससे एक तो किसी एक देश का अपने बाजार से एकाधिकार (Monopoly) समाप्त ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र: चुनौती एवं समाधान
- 2 भारत में फि़नटेक क्षेत्र
- 3 कोविड-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- 4 चक्रीय अर्थव्यवस्था
- 5 सार्वजनिक संपत्ति का मुद्रीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास
- 6 भारतीय एडटेक उद्योग
- 7 ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म: महत्व तथा विनियमन
- 8 सर्कुलर इकोनॉमी की ओर भारत: चुनौतियां एवं अवसर
- 9 भारत की देखभाल अर्थव्यवस्था
- 10 भारत में डीप टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम: चुनौतियाँ एवं संभावनाएं