भू-स्थानिक डेटा नीति : महत्व एवं अनुप्रयोग
कोई भी डेटा जो किसी भौगोलिक स्थान से संबंधित होता है या उसके द्वारा सूचित किया जाता है, भू-स्थानिक डेटा कहलाता है। यह वस्तुओं या घटनाओं के विषय में आंकड़ा होता है जिनका पृथ्वी के सतह पर एक निश्चित स्थान होता है।
- भू-स्थानिक डेटा स्थिर या गतिशील हो सकता है। स्थिर भू-स्थानिक डेटा भी अल्प अवधि तक ही स्थिर होते है। भू-स्थानिक डेटा के अंतर्गत स्थान विशेष की जानकारी, उसकी विशेषता, गुण आदि को दर्शाया जाता है।
वर्तमान नीति
- वर्ष 2021 में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा देश की भू-स्थानिक डेटा (geospatial data) उपयोग एवं मानचित्रण नीति में ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र: चुनौती एवं समाधान
- 2 भारत में फि़नटेक क्षेत्र
- 3 कोविड-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- 4 चक्रीय अर्थव्यवस्था
- 5 सार्वजनिक संपत्ति का मुद्रीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास
- 6 भारतीय एडटेक उद्योग
- 7 ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म: महत्व तथा विनियमन
- 8 सर्कुलर इकोनॉमी की ओर भारत: चुनौतियां एवं अवसर
- 9 भारत की देखभाल अर्थव्यवस्था
- 10 भारत में डीप टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम: चुनौतियाँ एवं संभावनाएं