भारतीय अर्थव्यवस्था: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और आगे की राह
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया। अर्थव्यवस्था के इस मॉडल के अंतर्गत समाजवादी नीतियों एवं बाजार अर्थव्यवस्था के अच्छे तत्वों को अपना कर देश की अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास किया गया।
- 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में देश को व्यापक आर्थिक असंतुलन का सामना करना पड़ा। इसके कारण सरकार को 1991 के पश्चात विभिन्न सुधारों को लागू करना पड़ा। भारत सरकार द्वारा लागू किये गये प्रमुख सुधार निम्नलिखित हैं:
- लाइसेंस राज को समाप्त करनाः लाइसेंस राज या परमिट राज को समाप्त करने के अन्गार्गत भारतीय अर्थव्यवस्था के ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारतीय वन रिपोर्ट से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- 2 भारतीय पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम
- 3 प्रवास यात्रा : पक्षियों का एक अद्भुत व्यवहार
- 4 जलवायु परिवर्तन का सौर नमक उत्पादन पर दुष्प्रभाव
- 5 सुपरसोनिक मल्टी-रोल लड़ाकू विमान तेजस पर बढ़ रहा है दुनिया का भरोसा
- 6 डायटम: जलीय पारितंत्र के सूक्ष्म पॉवरहाउस
- 7 वर्ष 2024 : नई सफलताओं की ओर बढ़ता भारतीय विज्ञान
- 8 जलवायु शिखर सम्मेलन 2024
- 9 सूखा और बाढ़ प्रबंधन के लिए उपग्रह-आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
- 10 मछुआरों के लिए इसरो के उपयोगी मोबाइल ऐप