भारत में ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली

प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत में ‘गुरुकुल’ शिक्षा प्रणाली प्रचलित थी। इस प्रणाली में छात्र शिक्षक या ‘गुरु’ के साथ रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे।

  • औपनिवेशिक शासन के आरंभिक साठ वर्षों तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया।
  • कंपनी का क्षेत्र विस्तार एवं राजस्व में वृद्धि के साथ प्रशासन पर नियंत्रण के लिए एक ऐसा भारतीयों का दल तैयार करना आवश्यक था, जो रंग-रूप से भारतीय किन्तु सोच से अंग्रेज हो।
  • अंग्रेजों के आगमन के बाद एक नई पश्चिमी शिक्षा प्रणाली भारत में आई। भारत में ब्रिटिश शिक्षा नीतियों के इतिहास को दो भागों में विभाजित कर देखा जा ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष