एमिनेंट डोमेन का सिद्धांत

20 मार्च, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि सरकार द्वारा ‘एमिनेंट डोमेन' के सिद्धांत के तहत सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित भूमि को अधिग्रहण से लाभान्वित व्यक्ति, निजी समझौतों के माध्यम से मूल मालिक को वापस नहीं सौंप सकता।

  • न्यायालय के अनुसार इस तरह के अवैध समझौतों से कानूनी जटिलताएं बढ़ती हैं एवं भूमि अधिग्रहण की मूल भावना को भी नुकसान पहुंचता है।
  • वाद का शीर्षकः दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड बनाम भगवान देवी 2025।

एमिनेंट डोमेन का सिद्धांत (Doctrine of Eminent Domain)

  • इसे ‘निजी संपत्ति के सार्वजनिक उपयोग हेतु रूपांतरण का सिद्धांत’ भी कहते ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री